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________________ आगम (१४) “जीवाजीवाभिगम" - उपांगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) प्रतिपत्ति : [१], ......------------------- उद्देशक: [-], ------------------ मूलं [३६] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [३] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: 8 C2% प्रत सूत्रांक % [३६] क्खजोणिया', उरपरिसप्पथलयरसमुच्छिमपश्चिदियतिरिक्खजोणिया चउब्विहा पन्नता, संजहा-अही अयगरा आसालिया महोरगा । से किं तं अही?, अही दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-दम्बीकरा य मउलिणो य । से किं तं दावीकरा, दम्वीकरा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-आसीविसा दिहीविसा उग्गविसा भोगविसा तयाविसा लालाविसा निस्सास विसा कण्हसप्पा सेयसप्पा काकोदरा दुव्भपुप्फा कोलाहा सेलेसिंदा, जे चावण्णे तहप्पगारा, सेत्तं अही । से कि त अयगरा, अयगरा एगागारा पन्नत्ता, सेत्तं अयगरा । से किं तं आसालिया ?, कहिणं भंते ! आसालिगा समुच्छइ ?, गोयमा ! अंतो मगुस्सखेत्ते अडाइजेसु दीवेसु निव्वापारणं पन्नरससु कम्मभूमीसु, बाधायं पडुश पंचसु महाविदेहेसु चकबट्टिखंधावारेसु बलदेवखंधावारेसु वासुदेवखंधावारेसु मंडलियखंधावारसु महामण्डलियखंधावारेसु गामनिवेसेसु नगरनिवेसेसु खेडनिवेसेसु कब्बड० मड़वनिवेसेसु दोणमुहनिवेसेसु पट्टणनिवेसेस आगरनिवेसेसु भासमनिवेसेसु राबहाणिनिवेसेसु, एएसि णं चेव विणासेसु, एत्थ णं आसालिया संमुच्छइ, जहणं अंगुलम्स असंखेजइ-1151 भागमित्ताए ओगाहणाए, उकोसेणं वारस जोयणाई, तदाणुरूवं च णं विक्खंभवाहलेणं भूमि दालित्ता संमुच्छइ, असण्णी मिच्छदिट्ठी अन्नाणी अंतोमुहुत्तद्धाउया चेव कालं करेइ, सेत्तं आसालिया । से किं तं महोरगा?, महोरगा अणेगविहा पण्णत्ता, तंजहाका अस्थेगइया अंगुलंपि अंगुलपुहुत्तियावि विहस्थिपि विहत्थिपुहतियावि रयणिपि रमणिपुहुत्तियावि कुछिपि कुच्छिपुहत्तियावि | धणुह पि धणुहपुहत्तियावि गाउयपि गाउयपुहत्तियावि जोयणपि जोयणपुहत्तियावि जोयणसयंपि जोयणसवपुहत्तियावि, तेज थले| जाया जलेऽवि चरंति धलेऽवि चरंति, ते गथि इहं बाहिरएसु दीवसमुद्देसु वंति, जे यावण्णे तहप्पगारा, सेत्तं महोरगा।" इति । अस्य विषमपदव्याख्या-व्धीकरा य मउलिणो य इति, दीव दर्या-फणा तत्करणशीला दकिराः, मुकुलं-फणाविरहयोग्या %20 दीप अनुक्रम [४४] % 2 2 ~80~
SR No.004114
Book TitleAagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size230 MB
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