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________________ आगम (१४) “जीवाजीवाभिगम" - प्रतिपत्ति : [३], ---------------------- उद्देशक: [(ज्योतिष्क)], -------------------- मूलं [१९९-२००] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [३] "जीवाजीवभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१९९-२००] बहरिस्थतिकत्वात् , एवं नक्षत्रेभ्यो महा महर्दिकाः, प्रहेभ्यः सूर्या महादिकाः, सूर्येभ्यश्चन्द्रा महर्दिकाः, एवं सर्यास्पर्द्धयस्तारा: सर्व-18 महईयचन्द्राः ॥ सम्प्रति जम्यूद्वीपे ताराणा परस्परमन्तरप्रतिपादनार्थमाह जंबूदीवे गंभंते! दीवे तारारुवस्स २ एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पण्णते?, गोयमा! दुविहे अंतरे पण्णत्ते, तंजहा-वाघातिमे य निव्वाघाइमे य, तत्थ णं जे से वाघातिमे से जहपणेणं दोषिण य छावढे जोयणसए उकोसेणं बारस जोयणसहस्साई दोपिण य बायाले जोषणसए तारारूवस्स २ य अयाहाए अंतरे पपणत्ते । तत्थ णं जे से णिवाघातिमे से जहपणेणं पंचधणुसयाई उक्कोसेणं दो गाउयाई तारारूव जाव अंतरे पण्णसे ॥ (सू०२०१) चंदस्स णं भंते! जोतिसिंदस्स जोतिसरनो कति अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ?, गोयमा! चत्तारि अग्गमहिसीओ पपणसाओ, तंजहा-चंदप्पभादोसिणाभा अचिमालीपभंकरा, एत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि चत्तारि देवसाहस्सीओ परिवारे य, पभू णं ततो एगमेगा देवी अवणाई चत्तारि २ देविसहस्साई परिवार विउवित्तए, एचामेव सपुवावरेणं सोलस देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ, से तं तुडिए॥ (स०२०२) पभू णं भंते! चंदे जोतिसिंदे जोतिसराया चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुधम्माए चंदंसि सीहासणंसि तुडिएण सद्धिं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए?, णो तिणढे समझे। से केणतुणं भंते! एवं युति नो पभू चंदे जोतिसराया चंडवडेंसए विमाणे सभाए सुधम्माए दीप अनुक्रम [३१६ ३१७]] ~ 768~
SR No.004114
Book TitleAagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size230 MB
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