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________________ आगम (१४) “जीवाजीवाभिगम" - उपांगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) प्रतिपत्ति : [३], ------ ------------- उद्देशक: [(द्विप्-समुद्र)], --------- मूलं [१८५] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [३] "जीवाजीवभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१८५] 11. Air "L दीप अनुक्रम [२९६ जिनवरावभासो द्वीप: आजि नवरात्रभासः समुद्र इत्यादि । देवचिन्तायामपि अर्द्धहारे द्वीपऽर्द्धहारभद्रार्द्धहारमहाभद्री देवौ, अर्द्धहारे । समुद्रेऽद्धहारवराहारमहापरी, अहारवरे द्वीपेऽद्धहारवरभद्रा हारवरमहाभद्रौ, अहारवरे समुद्रऽ हारवगाहारवरमहावरी, अर्बहारावभासे द्वीपेऽजहारदरावभासनद्राहारवरावभासमहाभद्रौ, अर्द्धहारवरावभासे समुद्रेऽद्विारबरावभासवराहारवरावभास-1 महापरी, कनकापलिपीपे कनकाबलिभद्रफनकालिमहामनी, कनफायली समुद्रे कनकायलिवरकनकावलिमहावरी, कनकायलिबरे। द्वीपे कनकालिपरभामा नकाबलिपरमहाभद्री, कनकालिबरे समुद्रे कनकाबलिवर कनकावलिवरमहायरी, कनकावलिवरापभासे द्वीप कनकालिबराबभालभद्र कग कावलिबराबभासमहाभद्रौ, कनकावलिवरावभासे समुद्रे कनकावलिवरावभासबरकनकावलिवरावभासमहाबरी, रमावली द्वीप रमाबलिभदरबावलिमहाभद्री, रमाबली समुरबावलिबररत्नावलिमहावरी, रमावलियरे द्वीपे रसायलिपरभद्ररनावलिकरमहाभद्री, रापलिबरे समुद्र रमावलिवररत्नावलीवर महावरी, रजावलिवरावभासे द्वीपे रमावलिवरावभासभरबाय-1 लिबराबभासमहाभद्री, रनावलिबरावमासे समुद्र रत्नावलिवरावभासवररत्नावलियराबभालमहावरी, मुक्तावली द्वीपे मुक्तावलिभद्रमुक्तावलिमहाभद्रौ, भुक्तावली समुद्र मुक्तावलिबरयुक्तावलिमहावरी, मुक्तावलिबरे द्वीपे मुक्तावलिवरभद्रमुक्तावलिबरमहाभद्री, मुक्ताविलियरे समुद्रे मुकाबलिवर मुक्तावलिमहावरी, मुक्तावलिवरावभासे द्वीपे मुक्तावलिबराबभासभद्रमुक्तावलिवरावभासमहाभद्री, मुक्ता बलिवरावभासे समुत्रे मुकाबलिवरावभासबरमुक्तावलिवरावभासनहापरी, आजिने द्वीपे आजिनभद्राजिनमहाभद्री, आजिने समुद्रे आ| जिनवराजिनवरमहावरी, आजिनवरे द्वीपे आजिनवरभद्राजिनबरमहाभद्री, आजिनवरे समुद्रे आजिनवराजिनवरमहाबरो, आजिन१ वरावभासे द्वीपे आजिनवरावभासभद्राजिनवरायभासमहाभद्रौ, आजिनवरावभासे समुद्रे आजिनवरावभासवराजिनवरावभासमहा .11. 409 -३००] ~740~
SR No.004114
Book TitleAagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size230 MB
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