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________________ आगम (१४) “जीवाजीवाभिगम" - उपांगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) प्रतिपत्ति : [३], ------ ----------- उद्देशक: [(द्विप्-समुद्र)], --- मूलं [१६२-१६६] + गाथा: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [३] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: -- --- - प्रत सूत्रांक [१६२ -१६६] 2-964-9-4-54-62-2 % (सू० १६३) कहि ण भते ! धायतिसंडदीवगाणं चंदाणं चंददीवा पण्णत्ता ?, गोयमा! चायतिसंडस्स दीवस्स पुरथिमिल्लाओ वेदियंताओ कालोयं णं समुई वारस जोयणसहस्साई ओगाहित्सा एत्थ णं धायतिसंडदीवाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पण्णत्ता, सब्यतो समता दो कोसा ऊसिता जलंताओ पारस जोयणसहस्साई तहेव विक्वंभपरिक्खेवो भूमिभागो पासायडिंसया मणिपेढिया सीहासणा सपरिवारा अट्ठो तहेव रायहाणीओ, सकाणं दीवाणं परस्थिमेणं अण्णंमि धायतिसंडे दीवे मेसं तं चेव, एवं सूरदीवावि, नवरं धायइसंडस्स दीवस्स पञ्चस्थिमिल्लातो वेदियंताओ कालोयं णं समुई वारस जोयण तहेव सवं जाव रायहाणीओ सूराणं दीवाणं पञ्चस्थिमेणं अण्णमि धायइसंडे दीवे सव्वं तहेव ॥ (सू०१६४ ) कहि भंते ! कालोयगाणं चंदाणं चंददीवा पण्णता?, गोयमा! कालोयसमुदस्स पुरच्छिमिल्लाओ वेदियंताओ कालोयपणं समुदं पथस्थिमेण वारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एल्थ णं कालोयगचंदाणचं. ददीवा सव्धतो समंता दो कोसा ऊसिता जलंतातो सेसं तहेव जाव रायहाणीओ सगा दीव० पुरच्छिमेणं अण्णमि कालोयगसमुदे पारस जोयणा तं चैव सर्व जाव चंदा देवास सूराणवि, बरं कालोयगपत्धिमिल्लानो वेदियंतातो कालोयसमुहपुरच्छिमेणं वारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता तहेव रायहाणीओ सगाणं दीवाग पञ्चस्थिमेणं अण्णमि कालोयगसमत गाथा -5- दीप अनुक्रम %2 % [२०९ % -२१६] - ~636~
SR No.004114
Book TitleAagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size230 MB
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