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________________ आगम (१४) “जीवाजीवाभिगम" - उपांगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) प्रतिपत्ति : २. ..........................-- उद्देशक: -1, ..................- मूलं [६०] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [३] जीवाजीवाभिगममूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: CHA श्रीजीवाजीवाभि मलयगिगेयावृत्तिः प्रतिपनी नपुंसकानामलग प्रत A सूत्रांक बहुवं [६०] एनेमि भंते : पोरहयणपुंसकाणं तिरिक्वजोणियनपुंसकाणं मणुस्सणपुंसकाण य कयरे कयरेहिन्तो जाब विमेमाहिया वा?, गोयमा! सवथोवा मणुस्मणपुंसका नेरइयनपुंसगा असंखेजगुणा तिरिकबजोणियणपुंसका अर्णनगुणा ।। एतेमिण भंते ! रयणप्पहापुढविणेरइयणपुंसकाणं जाव अहेमत्तमपुढविणेरइयणपुंसकाण य कयरे २ हिंतो जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वन्योवा अहेमत्तमपुढविनेरइयणपुंसका पुरविणेरड्यणपुंसका असंग्वेजगुणा जाव दोचपुढविणेरड्यगपुंसका असंवेनगुणा इमीसे रयणप्पभाग पुढवीए णेरइयणपुंसका असंग्वेजगुणा ॥ एतेसिणं भंते ! तिरिक्वजोणियणपुंसकाणं पगिदियतिरिक्वजोणियणपुंसकाणं पुढविकाइय जाव वणस्मनिकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसकाणं येइंदियतेइंदियचउरिदियपंचेंदियतिरिक्वजोणियणपुंसकाणे जलयराणं चलयराणं बहयराण य कतरेशहिन्तो जाव विसेसाहिया चा?. गोयमा! सम्बधोवा खहयरतिरिकावजोणियणपुंसका, थलयरतिरिक्वजोणियनपुंसका संग्वेज. जलयरतिरिक्वजोणियनपुंसका संग्वेज चतुरिंदियतिरि० विसेसाहिया लेइंद्रियति० बिसेसाहिया बेइंदियति. विसेसातेउकाहयएगिदियतिरिक्वा असंखेजगुणा पुढविकाइयएगिदियतिरिक्वजोणिया विसेसाहिया, एवं आउवाउवणस्सतिकाइयएगिदियतिरिक्वजोणियणपुंसका अणंतगुणा ।। एनेसि णं भंते ! मणुस्सणघुसकाणं कम्मभूमिणपुंसकाणं अकम्मभूमिणपुंसकाणं अंत दीप अनुक्रम [६८] ॥७९॥ % 2- % 20- ...अत्र मूल-संपादने शिर्षक-स्थाने सूत्र-क्रमाकने एका स्खलना दृश्यते-सू० ५९ स्थाने सू० ६० इति मुद्रितं ~ 161~
SR No.004114
Book TitleAagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size230 MB
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