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________________ आगम (१३) “राजप्रश्निय”- उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ---------- मूलं [३१-३२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१३], उपांग सूत्र - [२] "राजप्रश्नीय" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: वर्यागतिक मानवर्णन श्रीराजप्रश्नी मलयामिरीया वृत्तिः प्रत सूत्रांक [३१-३२ ॥७२॥ वत्तसहस्सपत्तकेसरफुल्लोवचियाओ छप्पयपरिभुजमाणकमलाओ अच्छविमलसलिलपुष्णाओ अप्पेगइयाओ आसवोयगाओ अप्पेगइयाओ खोरोयगाओ अप्पेगइयाओ धीयगाओ अपेगइयाओखीरोयगाओ अप्पेगइआओ खारोयगाओ अप्पेगतियाती उयगरसेण पण्णताओ पासादीयाओ दरिसणिजाओ अभिरुवाओ पडिरूवाओ तासिणं वाधीणं जाव बिलपंतीण पत्तेय २ चरहिसिंचत्तारि तिसोपाणपडिरूवगा पण्णत्ता, तेसि णं तिसोपाणपडिरूवगाणं वन्नओ, तोरणाणं झया उत्ताइछत्ता य यहा, तासु णं खुड्डाखुड़ियासु वावीसु जाय पिलपंतियासु तत्व २ देसे बहवे उप्पायपषयगा नियइपव्यययगा जगइपय्वया दारुइज्जपचयगा दगमंडया दगणालगा दगमंचगा पुसड्डा खुडखुडगा अंदोलगा पवखंदोलगा सबरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसु णं उप्पायपवएसु जाव पक्खंदोलएसु बहाई हसासणाई कोचासणाई गरुलासणाई उष्णयासणाई पणयासणाई दीहासणाई पक्खासणाई भद्दासणाई उसभासणाई सीहासणाई पउमासणाई दिसासोवत्थियाई सबरयणामयाई अच्छाई जाव पडिरूवाई, तेसणं वणसंदेसु तत्थ तत्थ तहिं तहिं देसे देसे यहवे आलियघरगा मालियघरगा कयलिघरगा लयाघरगा अच्छणघरगा पिच्छणघरगा मंडणघरगा पसाहणघरगा गम्भघरगा मोहनघरगा सालघरगा जालघरगा चित्तघरगा कुसुमपरगा गंघघरगा आयंसघरगा सदरपणामया अच्छा जाव. पडिरूवा, तेसु णं आलियघरगेसु जाव गंधव दीप अनुक्रम [३१-३२] ॥७ ॥ मूल-संपादने अत्र शिर्षक-स्थाने सूत्र-क्रमांकने एका स्खलना दृश्यते यत् सू० ३१-३२ स्थाने सू० ३० मुद्रितं सूर्याभविमानस्य वर्णनं ~ 153~
SR No.004113
Book TitleAagam 13 RAJPRASHNIYA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages304
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size66 MB
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