________________
[१३] श्री राजप्रश्नीय (उपांग)सूत्रम्
नमो नमो निम्मलदंसणस्स
पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित- सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः
“राजप्रश्नीय” मूलं एवं वृत्ति:
[मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः]
[आद्य संपादकः - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा. ]
(किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह )
पुन: संकलनकर्ता→ मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.)
30/10/2014, गुरुवार, २०७० कार्तिक शुक्ल ७
jain_e_library's Net Publications
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र - [१३], उपांग सूत्र [२] “राजप्रश्नीय" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः
~0~