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आगम
(१०)
“प्रश्नव्याकरणदशा” - अंगसूत्र-१० (मूलं+वृत्तिः ) श्रुतस्कन्ध: [१], ---------- ------------- अध्ययनं [२] -------- --------- मूलं [७] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१०], अंग सूत्र - [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रश्वब्याकर० श्रीअभयदेव
१अधर्म
द्वारे मृषावादिनः
प्रत
वृत्तिः
सू०७
कुले सारसे य साहिति पोसगाणं वधर्वधजायणं च साहिति गोम्भियाणं धणधनगवेलए य साहिति तकराणं गामागरनगरपट्टणे य साहिति चारियाणं पारघाइयपंथघातियाओ साहति य गंठिभेयाणं कयं च चोरियं नगरगोत्तियाण लछणनिलंछणधमणदुहणपोसणवणणदवणवाहणादियाई साहिंति बहणि गोमियाणं धातुमणिसिलपवालरयणागरे य साहिति आगरीणं पुष्फविहिं फलविहिं च साहिति मालियाणं अग्यमहुकोसए य साहिति वणचराणं जताई विसाई मूलकम्मं आहेवणआविंधणआभिओगमंतोसहिप्पओगे चोरियपरदारगमणवहुपावकम्मकरणं उक्खंधे गामघातियाओ वणदहणतलागभेयणाणि बुद्धिविसविणासणाणि वसीकरणमादियाई भयमरणकिलेसदोसजणणाणि भाववहुसंकिलिट्ठमलिणाणि भूतघातोवघातियाई सच्चाईपि ताई हिंसकाई वयणाई उदाहरति पुट्ठा वा अपुट्ठा वा परतत्तियवावडा य असमिक्खियभासिणो उवदिसंति सहसा उट्टा गोणा गवया दमंतु परिणयवया अस्सा हत्थी गवेलगकुकुडा य किजंतु किणावेध य विकेह पयह य सयणस्स देह पियय दासिदासभयकभाइलका य सिस्सा य पेसकजणो कम्मकरा य फिकरा य एए सयणपरिजणो य कीस अच्छति भारिया में करित्तु कम्मं गहणाई वणाई खेत्तखिलभूमिवाहराई उत्तणघणसंकडाई डझंतु सूडिजंतु य रुक्खा भिजंतु जंतभंडाइयस्स उवहिस्स कारणाए बहुविहस्स य अट्ठाए उच्छू दुजंतु पीलिजंतु य तिला पयावेह य इट्टकाउ मम घरट्टयाए खेत्ताई कसह कसावेह य लहुं गामागरनगरखेडकब्बडे निवेसेह अडवीदेसेसु विपुलसीमे पुष्पाणि य फलाणि य कंदमूलाई कालपत्ताई गेण्हेह करेह सं
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दीप अनुक्रम [११]
॥ २९
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