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________________ आगम (१०) “प्रश्नव्याकरणदशा” - अंगसूत्र-१० (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [१], ----------------------- अध्ययनं [४] ----------------------- मूलं [...१५] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१०], अंग सूत्र - [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रश्नव्याको .श्रीअभयदेव वृत्तिः अधर्मद्वारे प्रत सूत्रांक [१५] ॥७२॥ बलदेववासुदेव वर्णनं वसभघातिणो केसरिमुहविष्फाडगा दरितनागदपमहणा जमलज्जुणभंजगा महासउणिपूतणारिवू कंसमजडमोडगा जरासिंघमाणमहणा तेहि य अविरलसमसहियचंडमंडलसमप्पभेहिं सूरमिरीयकवयं विणिम्मुयंतेहिं सपतिदंडेहिं आयवत्तेहिं धरिजंतेहिं विरायंता ताहि य पवरगिरिकुहरविहरणसमुद्वियाहिं निरुवहयचमरपच्छिमसरीरसंजाताहिं अमइलसियकमलविमुकुलुज्जलितरयतगिरिसिहरविमलससिकिरणसरिसकलहोयनिम्मलाहिं पवणायचवलचलियसललियपणच्चियवीइपसरियखीरोदगपवरसागरुप्पूरचंचलाहिं माणससरपसरपरिचियावासविसदवेसाहिं कणगगिरिसिहरसंसिताहिं उचाउप्पातचवलजयिणसिग्धवेगाहिं हंसवधूयाहिं चेव कलिया नाणामणिकणगमहरिहतवणिजुजलविचित्तडंडाहिं सललियाहिं नरवतिसिरिसमुदयपगासणकरीहि वरपट्टणुग्गयाहिं समिद्धरायकुलसेवियाहि कालागुरुपवरकुंतुरुकतुरुकधववसवासविसदगंधुयाभिरामाहिं चिलिकाहिं उभयोपासंपि चामराहिं उक्खिप्पमाणाहिं सुहसीतलवातवीतियंगा अजिता अजितरहा हलमुसलकणगपाणी संखचक्कगयसत्तिणंदगधरा पवरजलसुकतविमलकोथूभतिरोडधारी कुंडलउज्जोवियाणणा पुंडरीयणयणा एगावलीकंठरतियवच्छा सिरिवच्छसुलंछणा वरजसा सव्वोउयसुरभिकुसुमसुरइयपलंबसोहंतवियसंतचित्तवणमालरतियवच्छा अट्ठसयविभत्तलक्खणपसत्थसुंदरविराइयंगमंगा मत्तगयवरिंदललियविक्कमविलसियगती कडिसुत्तगनीलपीतकोसिज्जवाससा पवरदित्ततेया सारयनवणियमहुरगंभीरनिद्धघोसा नरसीहा सीहविक्कमगई अत्यमियपवररायसीहा सोमा बारवइपुन्नचंदा सू०१५ दीप अनक्रम [१९]] ॥७२॥ ~147~
SR No.004110
Book TitleAagam 10 PRASHNA VYAKARANAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages335
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size76 MB
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