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________________ आगम (०५) "भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [९], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [३३], मूलं [३८४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: + C+ CAK प्रत सूत्रांक - [३८४] 4 सरिसलावन्नरूवजोषणगुणोववेयाओसरिसएहितो अकुलेहितो आणिएल्लियाओ कलाकुसलसबकाललालियसुहोचियाओ महवगुणजुत्तनिउणविणओवयारपंडियवियक्खणाओ मंजुलमियमहुरभणियविहसियविप्पे|क्खियगतिविसालचिट्टियघिसारदाओ अविकलकुलसीलसालिणीओ विसुद्धकुलवंससंताणतंतुवद्धणप्पग(भु) भवप्पभाविणीओ मणाणुकूलहियइच्छियाओ अह तुज्य गुणवल्लहाओ उत्तमाओ निश्चं भावाणुत्तरसधंगसुं-18 दरीओ भारियाओ, तं भुंजाहि ताव जाया! एताहिं सद्धिं विउले माणुस्सए कामभोगे, तो पच्छा भुत्तभोगी विसयविगयवोच्छिन्नकोउहल्ले अम्हेहिं कालगएहि जाव पवइहिसि । तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं बयासी-तहावि णं तं अम्म! ताओ! जन्नं तुज्झे मम एवं वयह इमाओ ते जाया विपु-| लकुलजावपवइहिसि, एवं खलु अम्म ! ताओ! माणुस्सयकामभोगा असुई असासया वंतासवा पित्तासवा खेलासवा मुक्कासवा सोणियासचा उच्चारपासवणखेलसिंघाणगवंतपित्तपूयमुफसोणियसमुत्भवा अम|णुन्नदुरूवमुत्तपूइयपुरीसपुन्ना मयगंधुस्सासअसुभनिस्सासा उच्चैयणगा बीभत्था अप्पकालिया लहुसगा कलमलाहिया सदुक्खबहुजणसाहारणा परिकिलेसकिच्छदुक्खसझा अवुहजणणिसेविया सदा साहुगरहणिज्जा| अर्णतसंसारबद्धणा कडगफलविवागा चुडलिब अमुचमाणदुवखाणुयंधिणो सिद्धिगमणविग्धा, से केस णं| जापति अम्मताओ! के पुर्षि गमणयाए के पच्छा गमणयाए?,तं इच्छामि णं अम्मताओ! जाव पवइत्तए। तए कोणतं जमालिं खत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-इमे च ते जाया! अजयपजयपिउपज्जयागए बहु हिरने || -%% दीप अनुक्रम [४६४] जमाली-चरित्रं ~936~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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