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आगम
(०५)
"भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:)
शतक [९], वर्ग -1, अंतर्-शतक [-], उद्देशक [३२], मूलं (३७३) मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [३७३]
या वृत्तिः२/
दीप अनुक्रम [४५३]
व्याख्या- होजा एवं जाव अहवा तिन्नि रयण. एगे सकर० एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयण. एगे वालुय० शतके प्रज्ञप्तिः तिनि पंकप्पभाए होज्जा, एवं एएणं कमेणं जहा चउपहं तियासंजोगो भणितो तहा पंचण्हवि तियासंजोगो उद्देशाः ३२ अभयदेवी- भाणियचो नवरं तत्थ एगो संचारिजइ इह दोनि सेसं तं चेव जाव अहवा तिन्नि धूमप्पभाए एगे तमाए एगे एकादिजी10 अहे सत्तमाए होजा [ त्रिकर्मयोगे | अहवा एगे रयण एगे सक्कर० एगे वालुय० दो पंकप्पभाए होजा एवं विप्रवधा
सू३७२ ॥४४शा पूजाव अहवा एगे| रयण० एगे सकर० एगे वालुप दो अहेसत्तमाए होजा ४ अहवा
&ाएगेरपण०एगे सकर० २१ वालुकप्रभा | दो वालुय. एगे पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहेसत्तमाए|| Ple,अहवा एगे रयण|MAHI |एगे सकरप्पभाए एगे वालुय० एगे पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवाल
पगे रयणदोसकर एवं १२० -एगे वालुप० एगे अहेसत्तमाए होजा १२ अहवा दो रयण एगे सकर एगे वास्लुय० एगे पंकप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा दो रयण एगे सकर एगे चालुय० एगे अहेसत्समाए होजा १६ अहवा एगे रयण एगे सकर० एगे पंक० दो धूमप्पभाए होजा एवं जहा चउण्हं चउकसंजोगी|
भणिओ तहा पंचण्हवि चउकसंजोगो भाणियो,नवरं अन्भहियं एगो संचारेयचो, एवं जाव अहवा दो पंक० |एगेधूम. एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयण एगे सकर० एगे वालुयः एगे पंक० एगे घूम-द
प्पभाए होज्जा १ अहवा एगे रपण एगे सकर० एगे वालुय० एगे पंक एगे तमाए होजा २ अहवा एगे|॥५४३ गरयण जाव एगे पंक० एगे अहेसत्तमाए होला ३ अहवा एगे रयण एगे सकर० एगे वालपप्पभाए एगे
ॐकरना
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***अत्र सू.३७३ एव वर्तते, मूल संपादकस्य स्खलनत्वात् सू.३७२ लिखितं, तस्मात् सू.३७२ स्थाने सू.३७३ एव जानीत
पार्वापत्य गांगेय-अनगारस्य प्रश्ना:
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