SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 783
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (०५) "भगवती'- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [८], वर्ग -1, अंतर्-शतक [-], उद्देशक [८], मूलं [३४३] +गाथा: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: R प्रत सूत्रांक [३४३] ASSSS गाथा: पन्नापरीसहे नाणपरीसहे य, चेयणिज्ने णं भंते ! कम्मे कति परीसहा सम्मोमालि, गोयमा ! एकारस परीसहा समोयरंति, तंजहा-पंचेच आणुपुषी चरिया सेज्जा बहेयरोगे यालणास जन्मेवय एकारस वेदणिबंमि ॥१॥दसणमोहणिजे णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयाति १, गोयनाएको दसपापरीसहे समोयह, चरितमोहणिजे भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ,गोयमा सत्तापरीसहा समोयरलि, तंजहाअरती अचेल इत्थी निसीहिया जायणा य अकोसे । सकारपुरकारचरितमोरभि सत्तेते ॥१॥ अंतराइए । ण भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ?, गोयमा ! एगे अलाभपरीसहे समोयरद । सत्तविहबंधगस्स गं भले ! कति परीसहा पण्णता?, गोयमा ! बावीसं परीसहा पण्णत्ता, वीसं पुण वेदाजं समयं सीयपरी| सर वेदेति णोतं समय उसिणपरीसह वेदेह जं समयं उसिणपरीसहं वेदेह पोतं सामपं सीयपरीसहं वेदेह || जं समयं चरियापरीसहं वेदेति णो तं समयं निसीहियापरीसह बेदेति जं समपं निम्सीहियारीसहं वेदेव । जो तं समयं चरियापरीसहं घेदेह । अवधिहबंधणस्स णं भले ! कति परीसहा पण्णसा !, गोयमा ! बावीस || परीसहा पण्णसा, तंजहा-छुहापरीसहे पिवासापरीसहे सीयप० दंसफ० मसग. जाव अलाभप०, एवं अट्ठविहवंधगस्सवि सत्तविहबंधगस्सवि । छबिहबंधगस्स भंते ! सरागसमत्थस्स कत्ति परीसहा पण्ण-181 सा, गोयमा! चोइस परीसहा पण्णता बारस पुण बेदेड, जं समयं सीयपरीसहं वेदेह णो तं समयं उसि-6 कणपरीसहं वेदेड जं समर्ष पसिणपरीसह वेदेव मोतं समयं सीयपरीसह देश, जं समय पारियापरीसह दीप अनुक्रम [४१६-४२० 5C% ECEBSC | कर्म-प्रकृत्तिः , कर्मन: भेदाः, परिषहा: ~782~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy