________________
आगम
(०५)
प्रत
सूत्रांक
[३१०]
दीप
अनुक्रम [३८३]
“भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं + वृत्तिः)
शतक [८], वर्ग [-1, अंतर् शतक [-] उद्देशक [१], मूलं [ ३१०] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित
आगमसूत्र - [ ०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः
॥ ३३० ॥
व्याख्या. 3 पंच भाणियवाणि, जे अपत्ता असुरकुमारभवणवासि जहा नेरइया तहेव एवं पञ्चत्तगावि, एवं दूधप्रज्ञप्तिः एणं भेदेणं जाव धणियकुमारा एवं पिसाया जाव गंधवा चंदा जाव ताराविमाणा, सोहम्मो कप्पो जाव अभयदेवी- अओ हेट्ठिम २ गेवेज्जजावज्वरिम २ गेवेज्ज० विजयअणुत्तरोवबाइए जाब सबसिद्धअणु० एकेकेणं दुयओ यावृत्तिः १ ४ भेदो भाणियवो जाब जे पजत्तसबह सिद्धअणुत्तरोबवाइया जाय परिणया ते वेडवियतेयाक म्मासरीरपयोगपरिणया, दंडगा ३ ॥ जे अपजत्ता सुमपुरधिकाइयएर्गिदियपयोगपरिणता ते फासिंदियपयोगपरिणया जे पजस्ता सुहमपुढविकाइया एवं चेव, जे अपजत्ता बादरपुढविकाइया एवं चेव, एवं पचत्तगावि, एवं चणं भेदेणं जाव वणस्सइकाइया, जे अपजस्ता बेइंद्रियपयोगपरिणया ते जिम्भिदियफासिंदियपयोगपरिणया जे पज्जन्त्ता बेइंदिया एवं चेव, एवं जाव चउरिंदिया नवरं एकेक इंदियं वह्नेयवं जाव अपजन्ता स्यणप्पभापुढविनेरइया पंचिंदियपयोगपरिणया ते सोइंदियचक्खिदियघाणिदियजिभि| दियफासिंदियपयोगपरिणया एवं पञ्जत्तगावि, एवं सबै भाणियधा, तिरिक्खजोणियमणुस्सदेवा जाव जे पजता सबट्टसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव परिणया ते सोइंदियचक्खिदिय जाब परिणया ४ ॥ जे अपजन्ता सुमपुढविकाइयएगिंदियओरालियतेय कम्मासरीरप्पयोगपरिणया ते फासिंदिपयोगपरिणया जे पलत्ता मुहम० एवं चैव बादर० अपजत्ता एवं चेव, एवं पञ्जन्तगावि, एवं एएवं अभिलावेणं जस्स जहंदियाणि सरीराणि य ताणि भाणियाणि जाव जेय पजता सबट्ट सिद्धअणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिदिद्यवेड वियतेया
Eucation International
For PanalPrata Use Only
~665~
८ शतके उद्देशः १ प्रायोगिक परिणामः
सू ३१०
॥३३०॥
waryra