SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 470
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (०५) "भगवती'- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति शतक [५], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [७], मूलं [२१३-२१४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती"मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [२१३-२१४] दीप अनुक्रम [२५३-२५४] व्याख्या- परमाणुपागलाणमा परमाणुपोग्गले णं भंते ! एयति वेयति जाव तं तं भावं परिणमति ?, गोयमा ! सिय एयति वेयति जाव प्रज्ञप्तिः परिणमति सिय णो एयति जाव णो परिणमति । दुपदेसिए णं भंते ! खंधे एयति जाव परिणमइ ?, गोयमा उद्देशात अभयदेवी सिय एयति जाव परिणमति सिय णो एयति जाव णो परिणमति, सिय देसे एयति देसे नो एयति । परमाण्वादेया वृत्तिः तिप्पएसिए णं भंते ! खंधे एयति?, गोयमा ! सिय एयति सिय नो एयति, सिय देसे एयति नो देसोरजनादिअ॥२३२॥ एयति सिय देसे एयति नो देसा एयंति सिय देसा एयंति नो देसे एयति । चउप्पएसिए णं भंते ! वंधे ॥४ सिधाराद्य वगाहनादि ण्यति०१. गोयमा ! सिय एयति सिय नो एयति सिय देसे एयति णो देसे एयति सिय देसे एयति णो| १३. है देसा एयति सिय देसा एयंति नो देसे एयति सिय देसा एयंति नो देसा एयंति जहा चउप्पदेसिओ, २१४ तहा पंचपदेसिओ तहा जाव अणतपदेसिओ ॥ (सूत्रं २१३) ॥ परमाणुपोग्गले णं भंते ! असिधारं वा खुरसाधारं वा ओगाहेजा, हंता ! ओगाहेजा। से णं भंते ! तत्थ छिजेज वा भिजेज वा ?, गोपमा ! णो तिणडे ||5| समढे, नो स्खलु तत्थ सत्थं कमति, एवं जाव असंखेजपएसिओ। अणंतपदेसिए णं भंते ! खंधे असिधारं वा | ॥२३२॥ ल खुरधारं वा ओगाहेजा ?, हंता ! ओगाहेजा, से णं तत्थ छिज्जेज वा भिजेज वा', गोयमा ! अस्धेगतिए छिज्जेज्ज वा भिज्बेन वा अत्थेगतिए नो छिज्जेज वा नो भिजेज वा, एवं अगणिकायस्स मझमज्झेणं तहिं णवरं | || झियाएजा भाणितचं, एवं पुक्खलसंवदृगस्स महामेहस्स मझमझेणं तहिं उल्ले सिया, एवं गंगाए महा ~469~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy