SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1772
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (०५) "भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [२५], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [४], मूलं [७४४-७४५] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [७४४-७४५]] KESASARASACRORES पुच्छा, गोयमा ! सहाणतरं पडुच जहन्नेणं एवं समयं उक्कोसेणं असंखेनं कालं, परहाणंतरं पहुंच जहन्नेणं है। एक समयं उकोसेणं अणतं कालं । निरेयस्स केवतियं कालं अंतर होइ?, गोयमा! सहाणतरं पडुच जहन्नेणं | | एकं समयं उक्कोसेणं आवलियाए असंखेजहभागं, परवाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं अर्थतं कालं, एवं जाव अणंतपएसियरस । परमाणुपोग्गला गं भंते ! सेयाणं केवतियं कालं अंतरं होइ?, गोयमा! नत्थिर ||| अंतरं, एवं जाव अर्णतपएसियाणं खंधाणं ॥ एएसिणं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं सेयाणं निरेयाण य कयरे-11 २ हितो जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा ! सबथोवा परमाणुपोग्गला सेया निरेया असंखेजगुणा एवं |जाव असंखिजपएसियाण खंधाणं। एएसिणं भंते! अणंतपएसियाणं खंधाणं सेयाणं निरेयाण य कयरे २ 18| जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा! सबथोवा अणंतपएसिया खंधा निरेया सेया अर्णतगुणा ॥ एएसि णं || भंते ! परमाणुपोग्गलाणं संखेजपएसियाणं असंखेजपएसियाणं अणंतपएसियाण य खंधाणं सेयाणं निरेयाण य दवट्टयाए पएसट्टयाए दबट्टपएसद्वयाए कयरे २ जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सबथोवा अणंतपए| सिया खंधा निरेया दबट्टयाए १ अणंतपएसिया खंधा सेया दछट्टयाए अणंतगुणा २ परमाणुपोग्गला सेया |दचट्ठयाए अर्णतगुणा ३ संखेजपएसिया खंधा सेया दवट्ठयाए असंखेजगुणा ४ असंखेजपएसिया खंधा सेया| दबट्टयाए असंखेवगुणा ५ परमाणुपोग्गला निरेया दबट्टयाए असंखेजगुणा ६ संखेजपएसिया खंधा निरेया ४ दबयाए संखेजगुणा ७ असंखेजपएसिया खंधा निरेया दबट्टयाए असंखेनगुणा ८ पएसट्टयाए एवं चेव नवरं || KA5%ERS दीप अनुक्रम [८९१ -८९२] ~ 1771~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy