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________________ आगम (०५) "भगवती'- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [२४], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-1, उद्देशक [१], मूलं [६९६-६९७] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [६९६-६९७]] जोणियाणं जाव भवादेसोत्ति नवरं चत्तारि णाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए छ समुग्धाया केवलिवजा ठिती अणबंधो य जहनेणं मासपुरत्तं उक्कोसेणं पुषकोडी सेसं तं चेच कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई मासपुहुत्तमम्भहियाई उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चाहिं पुषकोडीहि अब्भहियाई एवतियं जाव करेजा १, सोचेव जहन्नकालद्वितीएमु उववन्नो सा चेव वत्तवया नवरं कालादेसणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई मासपुत्तमम्भहियाई उकोसेणं चत्तारि पुषकोडीओ चत्तालीसाए वाससहस्सेहिं अन्भहियाओ एवतियं २, सो* चेव उक्कोसकालहितीएम उववन्नो एस चेव वत्तबया नवरं कालादेसेणं जहनेणं सागरोवमं मासपुहत्तमभदहियं उकोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चाहिं पुचकोडीहिं अन्भहियाई एबतियं जाव करेजा ३, सो चेवर अप्पणा जहन्नकालद्वितीओ जाओ एस चेव वत्तवया नवरं इमाई पंच नाणत्ताई सरीरोगाहणा जहन्नेणं का अंगुलपुहत्तं उकोसेणवि अंगुलपुहत्तं तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणाई भयणाए पंच समुग्धाया आविल्ला ठिती अणुपंधो य जहन्नेणं मासपुहुत्तं उक्कोसेणवि मासपुहुरा सेसं तं चेव जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं |8 दसवाससहस्साई मासपुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चाहिं मासपुहत्तेहिं अन्भहियाई एवतियं जाव करेजा ४ । सो चेव जहन्नकालद्वितीएम उवचन्नो एस चेव वत्तवया चउत्थगमगसरिसा यथा नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई मासपुहुत्तमम्भहियाई उक्कोसेणं चत्तालीसं वाससहस्साई चाहिं दीप अनुक्रम [८४१८४२] मनुष्याधिकारे उत्पाद-वर्णनं ~ 1633~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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