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आगम
(०५)
प्रत
सूत्रांक
[६८७]
दीप
अनुक्रम [८०५ ]
“भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं + वृत्तिः)
शतक [२०], वर्ग [-], अंतर् शतक [-], उद्देशक [१०], मूलं [ ६८७] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [०५], अंग सूत्र [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः
यावि ४ छकेहि य नोछक्केण य समज्जियावि ५, से केणट्टेणं जाव समज्जियावि ?, गोयमा ! जे णं पुढविकाइया णेगेहिं छक्कएहिं पवेसणगं पविसंति ते णं पुढविकाइया छकहिं समजिया जेणं पुढविकाइया णेगेहिं छक्क अभयदेवी एहि य अत्रेण य जहनेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं पुढवि या वृत्तिः २ ३ काइया छकेहि य नोछक्केण य समज्जिया, से तेणद्वेणं जाव समज्जियावि, एवं जाव वणस्सइकाइयावि,
व्याख्याप्रज्ञप्तिः
॥७९७॥
* वेदिया जाव वेमाणिया, सिद्धा जहा नेरइया । एएसि णं भंते ! नेरइयाणं छक्कसमज्जियाणं नोछकसमज्जि| याणं छक्केण य नोछण य समज्जियाणं छकेहि य समज्जियाणं छकेहि य नोछक्केण य समज्जियाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सङ्घत्थोवा नेरइया छक्कसमज्जिया नोकसमज्जिया संखेजगुणा छक्केण य नो य समज्जिया संखेजगुणा छकेहि य समज्जिया असंखेजगुणा छकेहि य नोछण य समजिया संखेज्जगुणा एवं ज्ञाव धणियकुमारा। एएसि णं भंते! पुढविकाइयाणं छक्केहिं समज्जियाणं छकेहि य नोछकेण य सम जियाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सवत्थोवा पुढविकाइया छकेहिं समजिया केहि य नोछक्केण य समजिया संखेज्जगुणा एवं जाव वणरसइकाइयाणं, बेइंदियाणं जाव बेमाणियाणं जहा नेरहयाणं । एएसि णं भंते! सिद्धाणं छक्कसमजियाणं नोछक्कसमज्जियाणं जाव छकेहि य नोछक्केण य समज्जि| याण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सवत्थोवा सिद्धा छकेहि य नोछकेण य समज्जिया छकेहिं समज्जिया संखेज्जगुणा छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया संखेज्जगुणा छक्कसमजिया संखेज्जगुणा नो
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~1598~
| २० शतके उद्देशः १० कतिसंचि तादि सू ६८७
॥७९७॥