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आगम
(०५)
प्रत
सूत्रांक
[६६७]
दीप
अनुक्रम [७८५]
“भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं + वृत्तिः)
शतक [२०], वर्ग [−], अंतर् शतक [-], उद्देशक [४], मूलं [६६७]
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [०५], अंग सूत्र [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः
''त्यादि, 'एवं बितिओ इंदियउद्देसओ इत्यादि यथा प्रज्ञापनायां पश्ञ्चदशस्येन्द्रियपदस्य द्वितीय उद्देशकस्तथाऽयं वाच्यः, स चैवं-सोइंदिओवचए चक्खिदिओवचए घाणिदिओवचए रसर्णिदिओवचए फासिंदिओवचए' इत्यादि ॥ विंशतितमशते चतुर्थः ॥ २०-४ ॥
चतुर्थे इन्द्रियोपचय उक्तः, स च परमाणुभिरितिपञ्चमे परमाणुस्वरूपमुच्यते इत्येवंसम्बद्धस्यास्येदमादिसूत्रम्परमाणुपले भंते! कतिचन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पनन्ते ?, गोयमा ! एगवन्ने एगगंधे एगरसे दुफासे पत्ते, तंजहा- जड़ एगवन्ने सिय कालए सिय नीलए सिय लोहिए सिय हालिदे सिय सुकिल्ले, जइ एगगंधे सिय सुभगंधे सिय भिगंधे, जइ एगरसे सिय तित्ते सिय कडुए सिय कसाए सिय अंबिले सिय महुरे, जइ दुफासे सिय सीए य निद्धे व १ सिय सीए य लुक्ने य २ सिय उसिणे य निद्धे य ३ सिय उसिणे य लुक्खे य ४ ॥ दुष्पएसिए णं भंते । खंधे कतिवन्ने ? एवं जहा अहारसमसए छडद्देसए जाव सिय चडफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने सिय कालए जाव सिय सुकिलए जह दुवन्ने सिय कालए नीलए य १ सिय कालए य लोहिए य २ सिय कालए य हालिदए य ३ सिय कालए य सुकिल्लए य ४ सिय नीलए लोहिए ५ सिय नी० हालिद० ६ सिय नीलए य सुकिल्लए य ७ सिय लोहिए य हालिइए य ८ सिय लोहिए य सुधिलए य ९ सिय हालिए य सुकिल्लए य १० एवं एए दुयासंजोगे दस भंगा। जइ एगगंधे सिय सुभगंधे १
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अत्र विंशतितमे शतके चतुर्थ-उद्देशकः परिसमाप्तः अथ विंशतितमे शतके पंचम उद्देशक: आरभ्यते
परमाणु- पुद्गलस्य वक्तव्यता
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~ 1559~