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आगम
(०५)
"भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:)
शतक [१९], वर्ग -1, अंतर्-शतक [-], उद्देशक [८], मूलं [६५९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [६५९]
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दीप अनुक्रम [७७०]
व्याख्या-18 गोयमा ! चविहा कसायनिवत्ती प०, तं०-कोहकसायनिवत्ती जाव लोभकसायनिवत्ती एवं. जाव वेमा- १९ शतके प्रज्ञप्तिः रिणियाणं । कइविहा णं भंते ! वन्ननिवत्ती प०, गोयमा! पंचविहा बन्ननिवत्ती प० तं०-कालबन्ननिवत्ती जाव अभयदेवी-|| सुकिल्लवन्ननिवत्ती, एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं, एवं गंधनिवत्ती दुविहा जाव वेमाणियाणं, रसनिबत्ती जीवन्द्रिया या वृत्तिः२४ पंचविहा जाव वेमाणियाणं, फासनिबत्ती अट्ठविहा जाय वेमाणियाणं । कतिविहा णं भंते ! संठाणनिवत्ती
दिनिवृत्तिः
सू६५९ ॥७७१॥
प०, गोयमा ! छविहा संठाणनिवत्ती प०२०-समचउरंससंठाणनिवत्ती जाव हुंडसंठाणनिश्वत्ती, नेरइयाणं पुच्छा गोयमा! एगा हुंडसंठाणनिवत्ती प०, असुरकुमाराणं पुच्छा, गोयमा! एगा समचउरंससंठाणनिबत्ती| प०, एवं जावणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं पुच्छा गोयमा! एगा मसूरचंदसंठाणनिबत्ती प०, एवं जस्सरे जं संठाणं जाववेमाणियाणं, काविहाणं भंते ! सन्नानिवत्ती प०१, गोयमा ! चउविहा सन्ना निवत्ती प.तं.- आहारसन्नानिबत्ती जाव परिग्गहसन्नानिवत्ती एवंजाच वेमाणियाणं, कइविहा गं भंते । लेस्सानिछत्ती
प०१, गोयमा छविहा लेस्सानिवत्तीप०,०-कण्हलेस्सानिवत्ती जाव सुक्कलेस्सानिवत्ती एवं जाववेमाणियाण 2 दजस्स जइ लेस्साओ।कइविहा णभंते दिडीनिवत्तीप०१.गोयमा तिबिहा दिट्ठीनिवत्ती प०,तंजहा-सम्मादि-18
विनिवत्ती मिच्छादिहिनिवत्ती सम्मामिच्छविहीनिवत्ती एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जइविहा दिट्ठी।कतिविहा||१७७१॥ |र्ण भंते !णाणनिवत्ती पन्नत्ता, गोयमा! पंचविहाणाणनिवत्ती प०,०-आमिणिबोहियणाणनिवती जाव | केवलनाणनिवत्ती, एवं एगिदियवजं जाव वेमाणियाणं जस्स जइणाणा। कतिविहाणं भंते ! अन्नाणनिबत्ती प०१,
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