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आगम
(०५)
"भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:)
शतक [१५], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-1, उद्देशक [-], मूलं [५५०] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक [५५०]
| रस्स पहिया मंडियकुञ्छिसि चेइयंसि उदाइस्स कुंडियायणस्स सरीरं विप्पजहामि उदा०२ एणेज्जगस्स
सरीरगं अणुप्पविसामि एणे०२ यावीसं वासाई पढम पउपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से दोने पउपरिहारे से उइंडपुरस्स नगरस्स बहिया चंदोयरणंसि चेइयंसि एणेज्जगस्स सरीरगं विप्पजहामि २त्सा एणे. | मल्लरामस्स सरीरगं अणुप्पविसामि मल्ल २ एकवीसं वासाई दोचं पउद्दपरिहारं परिहरामि, तत्थ पंजे से तचे पउपरिहार सेण चंपाए नगरीए पहिया अंगमंदिरंमि चेदयंसि मल्लरामस्स सरीरगं विप्पजहामि मल्ल मंडियस्स सरीरगं अणुप्पविसामि मल्लमंडि०२ वीसं वासाई तयं पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्थ णजे से चउत्थे पउहपरिहारे से णं वाणारसीए नगरीए बहिया काममहावणसि चेइयंसि मंडियस्स सरीरगं विप्पजहामि मंडि०२ रोहस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, रोह. २ एकूणवीसं वासाइ य चउत्थं पाहपरिहारं परि| हरामि, तत्थ णं जे से पंचमे पउपरिहारे से णं आलभियाए नगरीए बहिया पत्तकालगयंसि चेहयंसि 18| रोहस्स सरीरगं विप्पजहामि रोह०२भारहाइस्स सरीरगं अणुप्पविसामि भा०२ अट्ठारस वासाई पंचम
पउट्टपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से छठे पउपरिहारे से णं वेसालीए नगरीए यहिया कोंडियायणंसि चेइयंसि भारदाइयस्स सरीरं विप्पजहामि भा०२ अजुणगस्स गोषमपुत्सस्स सरीरगं अणुप्पषिसामि अ०
२ सत्तर वासाई छटुं पउपरिहारं परिहरामि, तत्थ णं जे से सत्तमे पउपरिहारे से णं इहेब सावत्थीए दिनगरीए हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावर्णसि अजुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं विप्पजहामि अजुणयस्स
Antratos
दीप अनुक्रम [६४८]
गोशालक-चरित्रं
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