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आगम
(०५)
"भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [१], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [४], मूलं [३८] + गाथा मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [३८]
व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवी या वृत्तिः
॥६३।।
गाथा
विधो रसः ! इति द्वारम् , इदं चैवम्-"णाणावरणिजस्स णं भंते ! कम्मस्स कतिविहे अणुभागे पण्णत्ते ? गोयमा !
१ शतके दसविहे अणुभागे पण्णत्ते, तंजहा-सोयावरणे सोयविन्नाणावरणे"इत्यादि, द्रव्येन्द्रियावरणो भावेन्द्रियावरणश्चेत्यर्थः ॥ll अथ कर्मचिन्ताऽधिकारान्मोहनीयमाश्रित्याह
४ प्रकृत्यादिजीवेणं भंते ! मोहणिजेणं कडेणं कम्मेणं उदिनेणं उबढाएजा? हंना उवट्ठाएजा । से भंते ! किं वीरियत्ताए उवद्यापज्जा अवीरियत्ताए उवहाएजा गोयमा! वीरियत्ताए उवट्ठाएजा नो अवीरियत्ताए उवट्ठा
एज्जा, जइ वीरियत्ताए उवट्ठाएजा किं बालवीरियत्ताए उचढाएज्जा पंडियवीरियत्ताए उवहाएजा बालपंडिलायबीरियत्ताए उवटाएजा ?, गोयमा ! बालवीरियत्ताए उवहाएजा णो पंडियबीरियत्ताए उवद्याएजा णो
बालपंडियवीरियत्ताए उचट्ठाएजा। जीवेणं भंते ! मोहणिजेणं कडेणं कम्मेणं उदिनेणं अवफमेजा हंता अवकमज्जा, से भंते ! जाव बालपंडियवीरियत्ताए अवकमेजा ३१, गोयमा वालवीरियत्ताए अवकमेजा नो पंडि
यवीरियत्ताए अवक्कमेजा, सिय बालपंडियवीरियत्ताए अवक्कमेजा।जहा उदिनेणं दो आलावगा तहा उवसंतेनाणवि दो आलावगा भाणियब्वा, नवरं उवट्ठाएज्जा पंडियवीरियत्ताए अवकमेजा यालपंडियवीरिपत्ताए ।
से भंते !किं आयाए अवकमइ अणायाए अवकमाइ ? गोयमा ! आयाए अवकमइ णो अणायाए अवक्कमह, मोहणिज्ज कम्म एमाणे से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! पुचि से एयं एवं रोयह इयाणि से एयं एवं नो रोयइ एवं खलु एवं ॥ (सू०३९)
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दीप अनुक्रम [४६-४७]
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