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आगम
(०५)
"भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:)
शतक [१२], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [४], मूलं [४४५] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [४४५]
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सिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ तिपएसिए खंधे भवह || अहवा तिन्नि दुपएसिया खंधा भवन्ति चउहा कजमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ तिपए|| सिए खंघे भवइ अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला भवंति एगयओ दो दुप्पएसिया खंधा भवंति, पंचहा | कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे भवति, छहा कजमाणे छ परमाणुपोग्गला भवंति । सत्त भंते ! परमाणुपोग्गला पुच्छा, गोयमा ! सत्तपएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहावि जाव सत्तहावि कजह, दुहा कज़माणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दुप्पएसिए खंधे भवह एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवा एगपओ तिप्पएसिए एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ, तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ पंचपएसिए खंधे भवति अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणु एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति एगयओ तिपएसिए खंघे भवति, चउहा कजमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ चउप्पएसिए खंघे भवति अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणु० एगर्यओ तिन्नि दुपएसिया खंधा भवंति, पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला ाएगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ तिन्नि परमाणु एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति, छहा
दीप
अनुक्रम [५३८]
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