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आगम
(०५)
"भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:)
शतक [११], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [१०], मूलं [४२०] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
१० उद्देशः
द्रव्यक्षेत्रा दिलोक
प्रत सूत्रांक [४२०
व्याख्या-15 अजीवावि अजीवदेसावि अजीवपएसावि, जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा १ अहवा एगिदियदेसा ११ शतक प्रज्ञप्तिः ॥ य इंदियस्स देसे २ अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियाण य देसा ३ एवं मज्झिल्लविरहिओ जाव अणिदिएम अभयदेवी- जाव अहवा एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य, जे जीवपएसा ते नियमा एगिदियपएसा १ अहवा एगिया वृत्ति दियपएसा य दियस्स पएसा २ अहवा एगिदियपएसा य बेइंदियाण य पएसा ३ एवं आइल्लविरहिओ सू४२० ॥५२ जाव पंचिंदिएम अणिदिएसु तियभंगो, जे अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-रूची अजीचा य अरूबी अ
जीवा य, रूबी तहेव, जे अरूवी अजीचा ते पंचविहा पण्णता, तंजहानो धम्मस्थिकाए धम्मस्थिकायस्स 15| देसे १ धम्मस्थिकायरस पएसे २ एवं अहम्मत्थिकायस्सवि ४ अद्धासमए ५ । तिरियलोगग्वेत्तलोगस्स णं द|| भंते ! एगमि आगासपएसे किं जीया, एवं जहा अहोलोगखेत्तलोगस्स तहेव, एवं उठुलोगखेत्तलोगस्सचि,
नवरं अद्धासमओ नस्थि, अरूबी चउधिहा । लोगस्स जहा अहेलोगखेत्तलोगस्स एगंमि आगासपएसेट 8|| अलोगस्स णं भंते । एगंमि आगासपएसे पुच्छा, गोयमा! नो जीवा नो जीवदेसा तं चेव जाव अतिहि || द अगुरुयल हुयगुणेहिं संजुत्ते सवागासस्स अणंतभागूणे ॥ दवओ णं अहेलोगस्नेतलोए अर्णताई जीवदधाई || अर्णताई अजीवदवाई अर्थता जीवाजीवदया एवं तिरियलोयखेत्तलोएवि, एवं जडलोयखेत्सलोएवि, दर
| ॥५२२॥ |||ओ णं अलोए वधि जीवदया नेवस्थि अजीबददा नेवत्थि जीवाजीवदया एगे अजीवदबदेसे जाव सबाद गासअर्णतभागूणे । कालोणं अहेलोयखेत्तलोए न कयाइ नासि जाब निचे एवं जाव अहोलोगे। भाव
दीप
अनुक्रम [५१०]
लोक-स्वरूपं एवं तस्य भेद-प्रभेदा:
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