________________
आगम
(०४)
“समवाय” - अंगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) समवाय [प्रकिर्णका:], ------------------- मूलं [१५६ से १५९] + ९३ गाथा: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०४], अंग सूत्र - [०४] “समवाय” मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
१५९ ऐर
बतादौ
प्रत सूत्रांक [१५६१५९] गाथा: १-९३
श्रीसमवा
यांगे श्रीअभय वृति:
जिनादि
564GGI
॥१५॥
महाबाहू । अइबले महावले बलभद्दे य सत्तमे ॥८३॥ दुविद य तिविद् य आगमिस्साण वहिणो । जयंते विजए भद्दे सुप्पभे य सुदंसणे । आणंदे नंदणे पउमे, संकरिसणे य अपच्छिमे ॥ ८४॥ एएसिणं नवण्हं चलदेववासुदेवाणं पुल्वभविया णव नामधेजा भविस्संति, नव धम्मायरिया भविस्संति, नव नियाणभूमीओ मविस्संति, नव नियाणकारणा भविस्संति, नव पडिसत्तू भविस्संति, तंजहा-तिलए य लोहजषे, वइरजंघे य केसरी पहराए । अपराइए य भीमे, महाभीमे य सुग्गीवे ॥८५।।एए खलु पडिसत्तू कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं । सब्वेवि चक्कजोही हम्मिहिंति सचक्केहि ॥ ८६ ॥ जंबुद्दीवे एरवए वासे आगमिस्साए उस्सपिणीए चउव्वीस तित्थकरा भविस्संति, तंजहा-सुमंगले अ सिद्धत्थे, णिवाणे य महाजसे। धम्मज्मए य अरहा, आगमिस्साण होक्खई ।। ८७।। सिरिचंदे पुप्फकेऊ, महाचंदे य केवली । सुयसागरे य अरहा, आगमिस्साण होक्खई ॥८८॥ सिद्धत्थे पुण्णधोसे य, महाघोसे य केवली । सबसेणे य अरहा, आगमिस्साण होक्खई ॥ ८९ ॥ सूरसेणे य अरहा, महासेणे य केवली । सम्वाणंदे य अरहा, देवउत्ते य होक्खई ।। ९० ॥ सुपासे सुब्बए अरहा, अरहे य सुकोसले । अरहा अणंतविजए, आगमिस्सेण होक्खई ॥ ९१॥ विमले उत्तरे अरहा, अरहा य महाबले । देवाणंदे य अरहा, आगमिस्सेण होक्खई ॥ ९२ ॥ एए वुत्ता चउव्वीस, एरवयम्मि केवली । आगमिस्साण होक्खंति, धम्मतित्थस्स देसगा ॥९३॥ बारस चकवहिणो भविस्संति, बारस चकवटिपियरो भविस्सति, चारस मायरो भविस्संति, वारस इस्थीरयणा भविस्संति, नव बलदेववासुदेवपियरो भविस्सति, णव वासुदेवमायरो भविस्संति, णव बलदेवमायरो भविस्संति, णव दसारमंडला भविस्संति, उत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पदाणपुरिसा जाव दुवे दुवे रामकेसवा भायरो भविस्संति, णव पडिसतू भविस्संति, नव पुत्वभवणामधेआ णव धम्मायरिया णव णियाणभूमीओ णव णियाणकारणा,
%CE%25
%
दीप अनुक्रम [२५४-३८३]
॥१५॥
%
~312~