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________________ आगम (०१) “आचार" - अंगसूत्र-१ (मूलं+नियुक्ति:+वृत्ति:) श्रुतस्कंध [२.], चुडा [२], सप्तैकक [३], उद्देशक [-], मूलं [१६५], नियुक्ति: [३२२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[०१], अंग सूत्र-[१] “आचार" मूलं एवं शिलांकाचार्य-कृत् वृत्ति: प्रत श्रीआचारावृत्तिः (शी०) ॥४०९॥ सूत्रांक श्रुतस्कं०२ चूलिका २ | उच्चारम श्रवणा. ३-(१०) [१६५] दीप अनुक्रम [४९९] साहम्मिया स० अस्सि प० एग साहम्मिणि स० अस्सिप० बहवे साहम्मिणीओ स० अस्सि. बहवे समण० पगणिय २ समु० पाणाई । जाव उरेसियं चेपइ, तहः थंडिलं पुरिसंतरकडं जाव बहियानीदडं वा अनी० अन्नयरंसि वा तहप्पगारंसि थं० उच्चारं नो वोसि० ।। से मि० से जं. बहवे समणमा० कि० ब० अतिही समुरिस्स पाणाई भूयाई जीवाई सत्ताई जाव उदेसियं गेह, तह. धंडिलं पुरिसंतरगडं जाब बहियाअनीहडं अन्नयरंसि वा तह चंखिहंसि नो उच्चारपासवण०, अह पुण एवं जाणिजा-अपुरिसंतरगडं जाव बहिया नीहडं अन्नयरंसि वा तहप्पगारं० ० उच्चार० बोसि०॥ से जं. अस्मिपडियाए कथं वा कारियं वा पामिश्चियं वा छन वा घटुं वा मटुं वा लित्तं वा संम8 वा संपधूविर्य वा अन्नयरंसि वा तहडि० नो उ० ॥ से भि० से जं पुण थं० जाणेजा, इह खलु गाहावई वा गाहा० पुत्ता वा कंदाणि वा जाव हरियाणि वा अंतराओ वा बाहिं नीहरंति बहियाओ वा अंती साहरंति अन्नयरंसि वा तह ० नो उचा० ।। से मि० से जं पुण० जाणेजा-बंधंसि वा पीढ़सि वा मंचंसि वा मालंसि वा अटुंसि वा पासायसि वा अन्नयरसि वा० थं० नो उ० ।। से भि० से जं पुण० अणंतरहियाए पुढवीए ससिणिद्धाए पु० ससरक्खाए पु. मट्टियाए मकाडाए चितमंताए सिलाए चित्तमंताए लेलुयाए कोलावासंसि वा दारुयंसि वा जीवपइडियंसि पाजाव माडासंताणयसि अन्न तह ५० नो उ० ॥ (सू० १६५) स भिक्षुः कदाचिदुच्चारप्रश्रवणकर्त्तव्यतयोत्-प्राबल्येन बाध्यमानः स्वकीयपादपुञ्छनसमाध्यादावुच्चारादिकं कुर्यात् स्वकीयस्य त्वभावेऽन्य 'साधर्मिक' साधु याचेत पूर्वप्रत्युपेक्षितं पादपुञ्छनकसमाध्यादिकमिति, तदनेनैतत्प्रतिपादित ॥४०९॥ wwwlandltimaryam अत्र आद्य संपादक महोदयेन ३-(१०) लिखितं, तत् हेतु सह कथनं| (३- अर्थात् सप्तैकक ३, एवं १०- अर्थात् प्रथम और दूसरी चुडा के अध्ययन मिलाकर ये दसवां अध्ययन हुआ, [चुडा १ के ७ अध्ययन और दूसरी चुडा का यह तीसरा अध्ययन] | इसी तरह आगे भी समझ लेना| ~823~#
SR No.004101
Book TitleAagam 01 ACHAR Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages871
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size145 MB
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