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________________ 114 जैनदर्शन में मन की अवस्थाएँ और तनाव भारतीय-चिन्तने का एक सामान्य सिद्धान्त रहा है कि प्राणी कर्मों से बंधन को प्राप्त होता है और ज्ञान से मुक्ति को प्राप्त होता है, किन्तु ज्ञान और कर्म-दोनों की जन्मभूमि मानव मन है और इसलिए यह कहा गया है कि 'मन ही मनुष्य के बन्धन और मुक्ति का हेतु है । 215 जैन- कर्मसिद्धान्त यह मानता है कि मन से युक्त व्यक्ति ही घनीभूत कर्मों का बंध कर सकता है और मन से युक्त व्यक्ति ही मुक्ति को प्राप्त हो सकता है। इस प्रकार, मन ही मनुष्य के बंधन और मुक्ति. का मूलभूत हेतु है। मन के विषय ही दुःख (तनाव) के हेतु होते हैं। 218 दूसरे शब्दों में कहें, तो तनाव उत्पन्न भी मन से ही होता है और तनाव से मुक्ति भी मन से ही सम्भव है। उत्तराध्ययनसूत्र के तेईसवें अध्ययन में केशीस्वामी गौतम - स्वामी से पूछते हैं कि आप एक दुष्ट अश्व पर सवार हैं, वह आपको कुमार्ग पर क्यों नहीं ले जाता ? उत्तर में गौतम स्वामी कहते हैं 17. जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति मणो साहस्सिओ भीमो, दुट्वस्सो परिधावई । तं सम्मं तु निगिण्हामि, धम्मसिक्खाई कन्थगं । । अर्थात्, मैंने उस दुष्ट अश्व को सूत्ररूपी रस्सी से नियमन करना सीख लिया है, अतः वह मुझे कुमार्ग पर नहीं ले जाता । मैं धर्मशिक्षारूपी लगाम से उस घोड़े को अच्छी तरह से वश में किए रहता हूँ। गीता में अर्जुन श्रीकृष्ण से कहता है- यह मन अत्यंत चंचल, विक्षोभ उत्पन्न करनेवाला और बड़ा बलवान है, इसका निरोध करना तो वायु को रोकने के समान अत्यन्त दुष्कर है। 218 कृष्ण कहते हैं - निस्संदेह मन का निग्रह कठिनता से होता है, फिर भी अभ्यास और वैराग्य के द्वारा इसका निग्रह सम्भव है। 218 आचार्य हेमचन्द्र कहते हैं- आँधी की तरह चंचल मन मुक्ति के इच्छुक एवं तप करने वाले मनुष्य को भी कहीं का कहीं ले जाकर पटक देता है। जो पुरुष मन का निरोध नहीं कर पाता, 215 अ) मैत्राण्युपनिषद, 4/11 ब) ब्रह्मबिन्दूपनिषद्, 2 उत्तराध्ययनसूत्र, 32 / 100 उत्तराध्ययनसूत्र, 23 /55 गीता, 6/34 216 217 218 219 वही, 6/35 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004099
Book TitleJain Darshan me Tanav aur Tanavmukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrupti Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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