________________
104
जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति
वस्तुतः वे ज्ञाता-द्रष्टाभाव की स्थिति कहे, जा सकते हैं और जो ज्ञाता-द्रष्टाभाव की स्थिति है, वह तनाव के हेतुओं के अभाव की स्थिति है। ज्ञाता-द्रष्टाभाव में विकल्प नहीं होते और जहाँ विकल्पों का अभाव होता है, वहाँ तनाव नहीं होता। तनावों का जन्म विकल्पों में ही संभव है, क्योंकि तनाव चाह या इच्छा का परिणाम हैं, और चाह और इच्छा विकल्परूप ही हैं। बौद्धदर्शन में यह माना गया है कि शब्द विकल्पजन्य है और विकल्प शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त होते हैं, अतः बौद्धदर्शन के अनुसार, तनावमुक्ति के लिए विकल्पों से मुक्ति आवश्यक है। विकल्प वह आधारभूमि है, जिसमें इच्छा या आकांक्षा जन्म लेती है और व्यक्ति की चेतना को तनावग्रस्त बनाती है, अतः बौद्धदर्शन के अनुसार भी तनाव से मुक्त रहने के लिए विकल्पों से ऊपर आना आवश्यक है। संक्षेप में बावन चैतसिकों में, जो विकल्पयुक्त हैं, वे तनावयुक्त हैं और . जो विकल्पमुक्त हैं, वे तनावमुक्त हैं।
----
--000--
600
For Personal & Private Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org