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________________ अध्याय १ : मोक्षमार्ग ७३ जावइया वयणपहा तावइया चेव होंति णयवाया __-सन्मतर्क अर्थात् वचन के जितने भी प्रकार हो सकते हैं, उतने ही नय भी हो सकते वास्तविक स्थिति यह है कि नय किसी भी वस्तु के वर्णन करने का, उसके स्वरूप कथन का ढंग है, एक शैली है। अतः जितनी भी शैलियों से वक्ता वस्तु का कथन करें, उतने ही नय हो सकते हैं । फिर भी सामान्य रूप से सभी प्रकार की कथन शैलियों का इन सात नयों में वर्गीकरण कर दिया गया है । ___ नये का प्रमाणत्व - सामान्य रूप से जिज्ञासा हो सकती है कि ये नय प्रमाण है अथवा अप्रमाण ? यदि प्रमाण हैं तो प्रमाण से अलग क्यों हैं ? और यदि अप्रमाण हैं तो किसी विषय के विवेचन में, उसकी सत्यता दर्शाने में यह बिल्कुल ही अनुपयोगी हैं । __ इसके उत्तर में कहा जा सकता है कि ये सभी नय प्रमाण हैं, सत्य हैं और वस्तु के सत्य स्वरूप को समझने के लिए आवश्यक है ।। प्रमाण से अलग ये इस अपेक्षा से हैं कि प्रमाण तो सकलादेशी होता है, वह सम्पूर्ण वस्तु का कथन एक साथ कर देता है जबकि नय विकलादेशी होते हैं, ये वस्तु के एक-एक गुण तथा पर्याय का अलग-अलग वर्णन करत हैं ___ यह जिज्ञासा भी उचित है कि नय मिथ्या हैं अथवा सत्य । इस विषय में जैनदर्शन की स्पष्ट मान्यता है कि जो सापेक्ष कथन होता है वे सुनय हैं ओर जो अपेक्षा रहित एकान्तिक कथन है, वे दुर्नय है । सुनय का अभिप्राय यह है कि किसी वस्तु के एक गुण का वर्णन करते समय अन्य गुणों का लोप न करें, अपितु गौण ही करें क्योंकि प्रत्येक वस्तु में अनेक गुण हैं; जैसे-एक व्यक्ति पिता भी होता है, पुत्र भी और पति भी होता है । जिस समय उसके 'पितापन' का वर्णन किया जाय तो 'पुत्रपन' तथा 'पतिपन' को अस्वीकार न कर दिया जाय । यदि अन्य गुणों का इन्कार कर दिया गया तो एकान्त हो जायेगा और नय दुर्नय बन जायेगी। ___ वस्तुतः वस्तु अनेक धर्मात्मक हैं और जैनदर्शन की विचार शैली अनेकान्तात्मक हैं । इसी अनेकान्तात्मक विचार को दृष्टिगत रखते हुए वर्णन करने वाले सभी नय सम्यक् हैं, सत्य हैं और वस्तु के यथार्थ स्वरूप को Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004098
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni, Shreechand Surana
PublisherKamla Sadhanodaya Trust
Publication Year2005
Total Pages504
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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