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समर्पणसुमन
जिन्होंने जैन आगमों पर विद्वत्तापूर्ण विस्तृत टीकाएं लिखी । "तत्त्वार्थसूत्र जैनागम” समन्वय जैसे आगम सन्दर्भ ग्रन्थ का प्रणयन कर जैन विद्या के प्राचीन स्त्रोतों को समुद्घाटित किया, रत्नत्रय की समुज्ज्वल-साधना कर जिन शासन का गौरव बढ़ाया,
उन
श्री व. स्था. जैन श्रमणसंघ के
प्रथमाचार्य
आगम-रत्न महोदधि ' आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज
की
पावन-स्मृति में समर्पित
- उपाध्याय केवल मुनि
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