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________________ नामकर्म की उत्तरप्रकृतियां (४२ भेद) Jain Education International २ .. .८ प्रत्येक प्रकृतियां १४ पिण्ड प्रकृतियां १० त्रसदशक १० स्थावरदशक . For Personal & Private Use Only (१) गतिनामकर्म . (२) जातिनामकर्म (३) शरीरनामकर्म (४) शरीरअंगोपांगनामकर्म (५) शरीरबन्धननामकर्म (६) संघातननामकर्म (७) संहनननामकर्म (८) संस्थाननामकर्म (९) वर्णनामकर्म (१०) गंधनामकर्म (११) रसनामकर्म (१२) स्पर्शनामकर्म (१३) आनुपूर्वीनामकर्म (१४) विहायोगतिनामकर्म (१) पराघातनामकर्म (२) उच्छ्वासनामकर्म (३) आतपनामकर्म (४) उद्योतनामकर्म (५) अगुरुलघुनामकर्म (६) तीर्थंकरनामकर्म (७) निर्माणनामकर्म (८) उपघातनामकर्म (१) त्रसनामकर्म (१) स्थावरनामकर्म (२) बादरनामकर्म (२) सूक्ष्मनामकर्म . (३) पर्याप्तनामकर्म (३) अपर्याप्तनामकर्म (४) प्रत्येकशरीरनामकर्म (४) साधारणशरीरनामकर्म (५) स्थिरनामकर्म (५) अस्थिरनामकर्म (६) शुभनामकर्म (६) अशुभनामकर्म (७) सुभगनामकर्म (७) दुर्भगनामकर्म (८) सुस्वरनामकर्म (८) दुःस्वरनामकर्म (९) आदेयनामकर्म (९) अनादेयनामकर्म (१०) यशःकीर्तिनामकर्म (१०) अयश-कीर्तिनामकर्म बन्ध तत्त्व www.jainelibrary.org ३८७
SR No.004098
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni, Shreechand Surana
PublisherKamla Sadhanodaya Trust
Publication Year2005
Total Pages504
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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