SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 224
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०० तत्त्वार्थ सूत्र : अध्याय ४ : सूत्र २१-२२ अन्य ज्ञातव्य बातें - वैमानिक देवों सम्बन्धी सूत्रोक्त वर्द्धमान - हीयमान बातों के अतिरिक्त कुछ अन्य सामान्य बातें भी जानने योग्य है । (१) आहार - यह तो निश्चित है कि प्रत्येक संसारी जीव आहार लेता है, यह बात दूसरी है कि उसके आहार ग्रहण करने की विधि में अंतर है, साथ ही समय के अन्तराल में भी अन्तर हैं । इस नियम के अनुसार देव भी आहार लेते हैं; लेकिन वे हम मनुष्यों के समान कवलाहार नहीं लेते, चारों ओर से योग्य पुद्गलो को ग्रहण करके आहार सम्बन्धी आवश्यकता पूरी कर लेते है । देव आहार कितने समय के बाद करते हैं यानी एक आहार से दूसरे आहार के बीच में कितना अन्तराल होता है, इस विषय में निश्चित नियम दस हजार वर्ष की आयुवाले देव एक-के दिन बीच में छोड़कर, पल्योपम की आयु वाले देव दिनपृथक्त्व (दो दिन से लेकर ९ दिन तक का समय ) से आहार लेते हैं । सागरों की आय वाले देवों के लिये नियम है कि जितने सागर की उनकी आयु होती है, उतने हजार वर्ष बाद वे आहार ग्रहण करते हैं। जैसे(३३ सागर की आयु वाले सवार्थसिद्ध विमान के देव ३३ हजार वर्ष बाद आहार ग्रहण करते हैं । (२) उच्छ्वास - श्वासोच्छ्वास जीवन का चिह्न है । इसके सद्भाव से ही प्राणी जीवित माना जाता है । सभी प्राणियों के समान देव भी श्वासोच्छ्वास लेते हैं । इनके लिए स्थिति यह है दस हजार वर्ष की आयु वाले देव सात स्तोक में एक उच्छ्वास लेते हैं और एक पल्योपम की आयु वाले एक दिन में एक उच्छ्वास । सागरों की आयु वाले देवों के लिए यह नियम है कि जितने सागर की आयु होती है, उतने ही पक्ष (१५ दिन का समय) में वे एक उच्छ्वास लेते हैं । (३) जीतव्यवहार - देवलोक में देवों की कुछ शाश्वत परम्पराएँ हैं १. स्तोक का मान इस प्रकार है - असंख्य समय=१ १ आवलिका, संख्यात आवलिका १ उच्छ्वास, १ श्वासोच्छ्वास=१ प्राण और ७ प्राण=१ स्तोक। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004098
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni, Shreechand Surana
PublisherKamla Sadhanodaya Trust
Publication Year2005
Total Pages504
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy