SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 122
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९८ तत्त्वार्थ सूत्र अध्याय २ : सूत्र १५ उदाहरणार्थ आधुनिक विज्ञान ने शुद्ध जल की एक बूंद' में ३६४५० चलते-फिरते जीव शक्तिशाली दूरवीक्षण यन्त्र से देख लिए हैं । ये सभी जीव त्रसकायिक हैं, जल तो सिर्फ उनका आश्रयस्थल है । ___ इसीलिए तो जैन धर्म में कच्चे पानी को सचित्त यानी जीव सहित बताकर अचित्त जल के उपयोग का विधान किया गया है । आगम वचन - गोयमा ! पंचेन्दिया पण्णत्ता । - प्रज्ञापना सूत्र, इन्द्रिय पद, उ. १, सू. १९१ (गौतम ! इन्द्रियाँ पाँच कही गई हैं । -) इन्द्रियों की संख्या - पंचेन्द्रियाणि । १५। इन्द्रियाँ पांच हैं । विवेचन - प्रस्तुत सूत्र नियामक है । इसका अभिप्राय यह है कि इन्द्रियाँ पाँच ही होती हैं; न कम, न अधिक । ___ यहाँ यह जिज्ञासा हो सकती है कि कहीं-कहीं दस इन्द्रियां भी बताई गई हैं ,वह कैसे ? . इसका समाधान यह है कि सांख्य आदि दर्शनकारों के १० इन्द्रियाँ बताई हैं । उन्होंने इन्द्रियों के दो भेद किये हैं - ५ ज्ञानेन्द्रिय और ५ कर्मेन्द्रिय । पश्चिमी विद्वानों ने भी इसी का अनुसरण किया है । वे भी १० इन्द्रियाँ मानते हैं । ज्ञानेन्द्रियों को वे (sense organs) कहते हैं और कर्मेन्द्रियो को (activity organs) | पाँच ज्ञानेन्द्रिय तो स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु और कर्ण (श्रोत्र) हैं ही, किन्तु इन लोगों ने वाक् (बोली) ,पाणि (हाथ), पाद (पैर), पायु (गुदा) और उपस्थ (जननेन्द्रिय) इनको कर्मेन्द्रिय कहा है । किन्तु विचार किया जाय तो इनका अन्तर्भाव स्पर्शन आदि इन्द्रियों में ही हो जाता है- जैसे वाक् का रसना (स्पर्शन सहित, क्योंकि वाक् नली (Vocal cord) कण्ठ, तालू आदि बोलने में सहायक अवयव स्पर्शन इन्द्रिय है) और शेष चार का स्पर्शन इन्द्रिय में समावेश हो ही जाता है। १. स्निग्ध पदार्थ विज्ञान, इलाहाबाद गवर्नमेंट प्रेस, कैप्टन स्कोर्स, द्वारा सूक्ष्मदर्शक यन्त्र से लिया गया चित्र । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004098
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni, Shreechand Surana
PublisherKamla Sadhanodaya Trust
Publication Year2005
Total Pages504
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy