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जैनदर्शन में व्यवहार के प्रेरकतत्त्व
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तक वह गीला न हो, उसी तरह खाद्य पदार्थों में जल या नमी का अंश पदार्थ को खराब करने लगता है और उनमें जीवोत्पत्ति होने लगती है।
रात बीतने पर बासी पदार्थ-114
रोटी
ब्रेड
दूधपाक
गुलाबजामुन कच्चा मावा
पराठा रणपोली जी आदि
भजिया बड़ा ढोकला
हांडवा इइडली डोसा फचौरी-समोसा
जलेबी
खीर मलाई बासुंदी श्रीखंड हलुआ
रसमलाई बंगाली मिठाई
आदि
सेका हुआ
पापड़ पानी वाली
चटनी शरबत का एसेन्स आदि
कुछ दिनों बाद अभक्ष्य बनने वाले पदार्थ -
जैनदर्शन में सूखे पदार्थों के अभक्ष्य होने की एक समय-मर्यादा मानी गई है। जिन पदार्थों को सेंककर या तलकर बनाते हैं और जिन पदार्थों को गाढ़ी चाशनी बनाकर तैयार करते हैं, वे पदार्थ अपनी पाक-पद्धति के कारण दीर्घ समय तक सड़न से सुरक्षित रहते हैं, ऐसे पदार्थों में समय-मर्यादा मौसम के अनुसार होती रहती है।
714 रिसर्च ऑफ डाइनिंग टेबल, आचार्य हेमरत्नसूरिजी, पृ. 38
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