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________________ जैनदर्शन में व्यवहार के प्रेरकतत्त्व 509 अष्टावक्र ऋषि 1208 का शरीर आठ स्थानों से वक्र था, किन्तु आत्मज्ञान में वे बहुत श्रेष्ठ थे, इसलिए बड़े-बड़े ऋषि भी उन्हें प्रणाम करते थे। चक्रवर्ती सनत्कुमार अपने सौन्दर्य का इतना विकृत रूप देखकर दहल उठे। शरीर और वैभव की नश्वरता को जानकर उन्होंने प्रव्रज्या ले ली। उनके शरीर में रोग उत्पन्न होकर क्रमश: बढ़ते जा रहे थे, परंतु उन्होंने न तो किसी प्रकार का उपचार किया और न शारीरिक-पीड़ा से व्याकुल बने। उन्हें ऐसी आत्मानुभूति हो रही थी कि शरीर है ही नहीं। भयंकर बीमारी में भी वे औषधि का प्रयोग नहीं करते थे। वे कहते थेरोग शरीर का है, आत्मा का नहीं, परंतु देवों के आग्रह से उन्होंने अपने थूक से शरीर के एक भाग का रोग मिटाकर दिखा दिया और एक दिन अपनी साधना में सफल होकर मुक्ति को प्राप्त हुए। ____ गुणग्राही दृष्टि जहाँ होगी, वहाँ विचिकित्सा नहीं हो सकती, क्योंकि जगत् के जितने भी ज्ञेय पदार्थ हैं, वे सभी गुणों से युक्त हैं। यदि दृष्टि गुणग्राही हो, तो वस्तुओं के प्रति कैसी घृणा और कैसी विचिकित्सा ? जैसे-श्रीकृष्ण महाराजा जब अपनी सेना के साथ गुजर रहे थे, तो रास्ते में उन्होंने एक सड़ी हुई कुतिया को देखा। जुगुप्सा के कारण सभी सैनिकों ने नाक पर हाथ रख लिए, परंतु श्रीकृष्ण बोले 'कुतिया की दंतपंक्ति कितनी सुन्दर है।' जब दृष्टि सम्यक हो जाती है, तब सभी वस्तुएं गुणों से युक्त दिखाई देती हैं। समयसार ग्रंथ में आचार्य कुन्दकुन्द कहते हैं – सम्यकदृष्टि जीव की दृष्टि सम्यक होती है। जो जीव सभी वस्तु-धर्मों में जुगुप्सा, ग्लानि नहीं करता, वह जीव विचिकित्सा-दोष से रहित सम्यकदृष्टि को प्राप्त होता है। 1209 पाश्चात्य–चिन्तकों ने भी कहा है कि सुन्दरता देखने वालों की आँखों में होती है। 1210 यदि दृष्टि सम्यक है, तो सभी वस्तुएं सम्यक और सुन्दर दिखाई देती हैं। 1208 1209 न जन्म, न मृत्यु, श्री चन्द्रप्रभ, पृ. 10 समयसार, गाथा 231 "Beauty lies in the eyes of beholder. 1210 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004097
Book TitleJain Darshan me Vyavahar ke Prerak Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramuditashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages580
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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