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जैनदर्शन में व्यवहार के प्रेरकतत्त्व
अध्याय 11 सुख संज्ञा और दुःख संज्ञा
1. सुख और दुःख का अर्थ तथा उनकी सापेक्षता
2. सुख व्यवहार के प्रेरक के रूप में और दुःख व्यवहार के निवर्त्तक
के रूप में
3. सुखवाद की अवधारणा और उसकी समीक्षा
4. सुख और आनंद का अन्तर
अध्याय
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अध्याय
1. धर्म की परिभाषाएँ
2. धर्म का सम्यक् स्वरूप
3. धर्म की जीवन में उपादेयता
4. धर्म मोक्ष का साधन
12 धर्म संज्ञा
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13
(अ) मोह संज्ञा
1. मोह संज्ञा का स्वरूप
2. मोह के प्रकार
3. मोह मोक्ष में बाधक
4. मोह पर विजय कैसे ?
(ब) शोक संज्ञा
1. शोक संज्ञा का स्वरूप
2. शोक आर्त्तध्यान का ही एक रूप है
3. शोक के दुष्परिणाम
4. शोक पर विजय कैसे ?
(स) विचिकित्सा (जुगुप्सा) संज्ञा
1. विचिकित्सा (जुगुप्सा) का स्वरूप
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