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छत्तीसवां समुद्घात पद - चौबीस दण्डकों में कषाय समुद्घात
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वाणव्यंतर, ज्योतिषी और वैमानिक देवों की वक्तव्यता असुरकुमारों के समान कह देनी चाहिये। इस प्रकार समुद्घात वाले और समुद्घात से रहित जीवों की अल्पबहुत्व का कथन किया गया है।
कषाय समुद्घात के भेद कइ णं भंते! कसायसमुग्घाया पण्णत्ता?
गोयमा! चत्तारि कसाय समुग्घाया पण्णत्ता। तंजहा-कोह समुग्याए, माण समुग्याए, माया समुग्घाए, लोह समुग्घाए।
णेरइयाणं भंते! कइ कसाय समुग्धाया पण्णत्ता? गोयमा! चत्तारि कसायसमुग्घाया पण्णत्ता, एवं जाव वेमाणियाणं॥ भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! कषाय समुद्घात कितने कहे गये हैं?
उत्तर - हे गौतम! कषाय समुद्घात चार कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. क्रोध समुद्घात २. मान समुद्घात ३. माया समुद्घात और ४. लोभ समुद्घात।
प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिकों के कितने कषाय समुद्घात कहे गये हैं ?. ..
उत्तर - हे गौतम! नैरयिकों के चारों कषाय समुद्घात कहे गये हैं। इसी प्रकार यावत् वैमानिकों तक समझना चाहिये।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में कषाय समुद्घात के चार भेद तथा नैरयिक से लेकर वैमानिक पर्यन्त चौबीस दण्डकों में चारों प्रकार के कषाय समुद्घातों के अस्तित्व की प्ररूपणा की गयी है। .. चौबीस दण्डकों में कषाय समुद्घात एगमेगस्स णं भंते! णेरइयस्स केवइया कोहसमुग्घाया अतीता? गोयमा! अणंता। केवइया पुरेक्खडा?
गोयमा! कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्सऽत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा उक्कोसेणं संखिजा वा असंखिजा वा अणंता वा, एवं जाव वेमाणियस्स, एवं जाव लोहसमुग्घाए, एए चत्तारि दंडगा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! एक-एक नैरयिक के अतीत (भूतकाल) में कितने क्रोध समुद्घात हुए हैं ?
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