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________________ 料 ३०८ प्रज्ञापना सूत्र 种 种种种种种4KHHHHHH4+ -+HIGHTENSFERENTS-HEATHE+NMAKESHAKAHNESE+ समुद्घात वाले हैं क्योंकि यह समुद्घात मरण के समय ही होता है और किसी को होता है किसी को नहीं। उनसे कषाय समुद्घात वाले पृथ्वीकायिक आदि जीव संख्यातगुणा हैं, उनसे वेदना समुद्घात वाले संख्यातगुणा हैं और उनसे भी समुद्घात से रहित पृथ्वीकायिक आदि जीव असंख्यातगुणा हैं। __ वायुकायिक जीवों की अल्पबहुत्व इस प्रकार है - सबसे थोड़े वायुकायिक वैक्रिय समुद्घात वाले हैं क्योंकि बादर पर्याप्त के संख्यातवें भाग मात्र को ही वैक्रिय लब्धि संभव है। उनसे मारणांतिक समुद्घात वाले वायुकायिक असंख्यातगुणा हैं क्योंकि पर्याप्त, अपर्याप्त, सूक्ष्म और बादर भेद वाले सभी वायुकायिकों में मरण समुद्घात संभव है। उनसे भी कषाय समुद्घात वाले वायुकायिक संख्यातगुणा हैं, उनसे भी बेदना समुद्घात वाले वायुकायिक विशेषाधिक हैं। उनसे भी समुद्घात रहित असंख्यातगुणा हैं क्योंकि सर्व समुद्घातों को प्राप्त वायुकायिकों की अपेक्षा स्वभाव स्थित वायुकायिक जीव स्वभाव से ही असंख्यातगुणा हैं। ___बेइंदियाणं भंते! वेयणासमुग्घाएणं कसायसमुग्धाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा बेइंदिया मारणंतिय समुग्घाएणं समोहया, वेयणासमुग्घाएणं समोहया असंखिजगुणा, कसायसमुग्घाएणं समोहया संखिजगुणा असमोहया संखिजगुणा एवं जाव चउरिदिया। .. भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन वेदना समुद्घात से, कषाय समुद्घात से तथा मारणांतिक समुद्घात से समवहत और असमवहत बेइन्द्रिय जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं? उत्तर - हे गौतम! सबसे थोड़े मारणांतिक समुद्घात से समवहत बेइन्द्रिय जीव हैं उनसे वेदना समुद्घात से समवहत बेइन्द्रिय जीव असंख्यातगुणा हैं उनसे कषाय समुद्घात से समवहत संख्यात गुणा हैं और उनसे भी असमवहत बेइन्द्रिय जीव संख्यातगुणा हैं, इसी प्रकार यावत् चउरिन्द्रिय तक समझना चाहिये। विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में तीन विकलेन्द्रिय जीवों का समुद्घात की अपेक्षा अल्पबहुत्व कहा गया है। जो इस प्रकार है - सबसे थोड़े बेइन्द्रिय जीव मारणांतिक समुद्घात वाले हैं क्योंकि प्रश्न समय अमुक बेइन्द्रियों का ही मरण संभव है। उनसे वेदना समुद्घात वाले बेइन्द्रिय असंख्यातगुणा हैं क्योंकि सर्दी गर्मी आदि से बहुत बेइन्द्रियों में वेदना समुद्घात होता है। उनसे कषाय समुद्घात वाले संख्यातगुणा हैं क्योंकि बहुत से बेइन्द्रिय जीवों मे लोभ आदि कषाय समुद्घात का सद्भाव है। उनसे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004096
Book TitlePragnapana Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size8 MB
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