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प्रज्ञापना सूत्र WWWWWWHHHHHHHHHHHMENT种种种种种
भावार्थ - मारणांतिक समुद्घात स्व स्थान में भी और पर स्थान में भी एकोत्तरिका-एक से लगा कर समझ लेना चाहिये यावत् वैमानिक का वैमानिकत्व में कहना चाहिये इसी प्रकार ये चौबीस दण्डक चौबीस दण्डकों में कह देना चाहिये। - .. ___· वैक्रिय समुद्घात का कथन कषाय समुद्घात की तरह कहना चाहिये। विशेषता यह है कि जिसके वैक्रिय समुद्घात नहीं होता उसके विषय में कथन नहीं करना चाहिये। यहाँ भी चौबीस दण्डक चौबीस दण्डकों में कहने चाहिये।
- तैजस समुद्घात का कथन मारणांतिक समुद्घात के समान कहना चाहिये। विशेषता यह है कि जिसके वह होता है उसी के कहना चाहिये। इसी प्रकार चौबीस दण्डक चौबीस दण्डकों में कहने चाहिये।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में चौबीस दण्डकों की चौबीस दण्डक पर्यायों में मारणांतिक समुद्घात वैक्रिय समुद्घात और तैजस समुद्घात प्ररूपणा की गयी है। नैरयिक के स्वस्थान नैरयिक पर्याय और परस्थान असुरकुमार आदि यावत् वैमानिक तक भूतकाल में अनन्त मारणांतिक समुद्घात हुए . हैं। भविष्य में किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते। जिसके अनागत मारणांतिक समुद्घात होते हैं उसके जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट संख्यात असंख्यात और अनन्त होते हैं। जिस प्रकार नैरयिक के नैरयिकत्व आदि चौबीस स्वस्थानों-परस्थानों में अतीत और अनागत मारणांतिक समुद्घात की वक्तव्यता कही है उसी प्रकार असुरकुमारों से लेकर वैमानिकों तक चौबीस दण्डकों के स्वस्थानों और परस्थानों में अतीत और अनागत मारणांतिक समुद्घात कह देने चाहिये। कुल मिलाकर २४४२४-५७६ भंग होते हैं। ___वैक्रिय समुद्घात का वर्णन कषाय समुद्घात की तरह ही समझना चाहिये किन्तु विशेषता यह है कि जिन जीवों में वैक्रिय समुद्घात संभव है उन्हीं में कहना चाहिये, जिन जीवों में वैक्रिय लब्धि नहीं होने से वैक्रिय समुद्गात नहीं होता उनमें यह कथन नहीं करना चाहिये। वैक्रिय समुद्घात में भी चौबीस दण्डकों की चौबीस दण्डकों में प्ररूपणा करनी चाहिये। इस प्रकार कुल मिला कर २४४२४-५७६ भंग होते हैं।
तैजस समुद्घात की प्ररूपणा मारणांतिक समुद्घात के समान समझनी चाहिये किन्तु विशेषता यह है कि नैरयिकों, पांच स्थावरों और तीन विकलेन्द्रियों में तैजस समुद्घात संभव नहीं है अतएव उनमें कथन नहीं करना चाहिये। इनके अलावा जिसमें तैजस समुद्घात हो उसी का कथन करना चाहिये। इसी प्रकार चौबीस दण्डकों की चौबीस दण्डकों में प्ररूपणा करनी चाहिये। इसके भी कुल २४४२४-५७६ आलापक होते हैं।
एगमेगस्स णं भंते! णेरइयस्स णेरंइयत्ते केवइया आहारगसमुग्घाया अतीता?
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