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२८१ NEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE
छत्तीसवां समुद्घात पद - एक एक जीव के अतीत-अनागत समुद्घात
विवेचन - एक-एक नैरयिक के पूर्व के सम्पूर्ण अतीत काल की अपेक्षा कितने आहारक समुद्घात पूर्व में हुए हैं? इसके उत्तर में भगवान् फरमाते हैं कि - हे गौतम! किसी के आहारक समुद्घात पूर्व में किये हुए होते हैं और किसी के नहीं होते। जिस जीव ने पूर्व में मनुष्य भव प्राप्त कर तथा प्रकार की सामग्री के अभाव से चौदह पूर्वो का अध्ययन नहीं किया अथवा चौदह पूर्वो का ज्ञान होने पर भी आहारक लब्धि के अभाव से या तथाविध प्रयोजन के अभाव से आहारक शरीर किया नहीं, उनके नहीं होता। जिनके होता है उनके भी जघन्य से एक और दो, उत्कृष्ट से तीन होते हैं किन्तु चार नहीं होते। जिसने चार बार आहारक शरीर किया है वह नरक में नहीं जाता। इस विषय में टीकाकार कहते हैं
आहार समुग्घाया उक्कोसेणं तिण्णि, तदुवरिणियमा नरगं न गच्छइ जस्स चत्तारि भवंति त्ति।
अर्थात् आहारक समुद्घात उत्कृष्ट तीन होते हैं इसके ऊपर जिसके चार समुद्घात होते हैं वे अवश्य नरक में नहीं जाते।
भविष्यकाल में भी आहारक समुद्घात किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते। उसमें भी जो मानवभव प्राप्त कर तथाप्रकार की सामग्री के अभाव से चौदह पूर्व का ज्ञान और आहारक समुद्घात के बिना सिद्ध होते हैं उनको नहीं होता। शेष जीवों को यथासंभव जघन्य से एक, दो, तीन और उत्कृष्ट से चार समुद्घात होते हैं। तत्पश्चात् अवश्य दूसरी गति में उत्पन्न नहीं होने के कारण आहारक समुद्घात के बिना सिद्धि गमन होता है।
- नैरयिक के कहे अनुसार गैबीस दण्डकों के क्रम से निरंतर वैमानिक सूत्र तक कह देना चाहिये किन्तु मनुष्य के अतीत काल और अनागत काल की अपेक्षा नैरयिकों के भविष्यकाल में होने वाले समुद्घात की तरह कहना चाहिये अर्थात् मनुष्यों में भूतकाल की अपेक्षा उत्कृष्ट चार और भविष्यकाल की अपेक्षा भी उत्कृष्ट चार आहारक समुद्घात होते हैं। चौथी बार में आहारक शरीर करने वाला अवश्य उसी भव में ही मुक्ति प्राप्त करता है।
एगमेगस्स णं भंते! णेरइयस्स केवइया केवलिसमुग्घाया अतीता?
गोयमा! णत्थि। - केवइया पुरेक्खडा?
गोयमा! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्सऽत्थि एक्को, एवं जाव वेमाणियस्स, णवरं मणूसस्स अतीता कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्सऽथि एक्को, एवं पुरेक्खडा वि॥६८७॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! एक-एक नैरयिक के अतीत केवली समुद्घात कितने हुए हैं ?
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