________________
२६८
===========================98
-
प्रज्ञापना सूत्र
ateletselelal
कइविहा णं भंते! वेयणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा वेयणा पण्णत्ता । तंजहा- सारीरा, माणसा, सारीरमाणसा । भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! वेदना कितने प्रकार की कही गई है ?
उत्तर हे गौतम! वेदना तीन प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार है
३. शारीरिक आदि वेदना द्वार
२. मानसिक और ३. शारीरिक मानसिक ।
विवेचन - शरीर में होने वाली वेदना शारीरिक वेदना कहलाती है। मन में होने वाली 'वेदना मानसिक वेदना तथा शरीर और मन दोनों में होने वाली वेदना शारीरिक-मानसिक वेदना कहलाती है। णेरड्या णं भंते! किं सारीरं वेयणं वेदेंति, माणसं वेयणं वेदेंति, सारीरमाणसं वेयणं वेदेंति ?
गोयमा ! सारीरं पिवेयणं वेदेंति, माणसं पि वेयणं वेदेंति, सारीरमाणसं पि वेयणं वेदेंति। एवं जाव वेमाणिया, णवरं एगिंदियविगलिंदिया सारीरं वेयणं वेदेति, माणसं वेणं वेदेंति, णो सारीरमाणसं वेयणं वेदेंति ।
- १. शारीरिक
-
भावार्थ- प्रश्न हे भगवन् ! नैरयिक शारीरिक वेदना वेदते हैं, मानसिक वेदना वेदते हैं या शारीरिक मानसिक वेदना वेदते हैं ?
Jain Education International
उत्तर - हे गौतम! नैरयिक शारीरिक वेदना भी वेदते हैं, मानसिक वेदना भी वेदते हैं, शारीरिकमानसिक वेदना भी वेदते हैं। इसी प्रकार यावत् वैमानिकों तक कहना चाहिये किन्तु इतनी विशेषता है कि एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय शारीरिक वेदना ही वेदते हैं, मानसिक और शारीरिक-मानसिक वेदना नहीं वेदते हैं।
विवेचन - नैरयिक परस्पर उदीरणा करने से, परमाधार्मिकों द्वारा उत्पन्न करने से या क्षेत्र के प्रभाव से जब शरीर में वेदना का अनुभव करते हैं तब शारीरिक वेदना वेदते हैं। जब बाद के भव को लेकर मन में दुःख का विचार करते हैं तथा दुष्कर्म करने वाले बहुत पश्चात्ताप करते हैं तब मानसिक वेदना वेदते हैं। जब विवक्षित काल में शरीर विषयक पीड़ा का अनुभव करते हैं और उतने काल तक उपरोक्तानुसार मन विषयक पीड़ा का अनुभव करते हैं तब उस काल विशेष की अपेक्षा शारीरिक मानसिक वेदना वेदते हैं। यहाँ भी वेदना का अनुभव अनुक्रम से ही होता है अतः विवक्षित उतने काल की अपेक्षा दोनों वेदनाओं का कथन किया गया है।
एकेन्द्रियों और विकलेन्द्रियों को छोड़कर शेष जीव तीनों प्रकार की वेदना (शारीरिक, मानसिक,
For Personal & Private Use Only
www.jalnelibrary.org