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प्रज्ञापना सूत्र
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11-1-411
गोयमा! सीयं पि वेयणं वेदेति, उसिणं पि वेयणं वेदेति, णो सीओसिणं वेयणं वेदेति। ते बहुयतरागा जे उसिणं वेयणं वेदेति, ते थोवतरागा जे सीयं वेयणं वेदेति।
धूमप्पभाए एवं चेव दुविहा, णवरं ते बहुयतरागा जे सीयं वेयणं वेदेति, ते थोवतरागा जे उसिणं वेयणं वेदेति।
तमाए य तमतमाए य सीयं वेयणं वेदेति, णो उसिणं वेयणं वेदेति, णो सीओसिणं वेयणं वेदेति।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! रत्नप्रभा पृथ्वी के नैरयिक शीत वेदना वेदते हैं ? उष्ण वेदना वेदते हैं? या शीतोष्ण वेदना वेदते हैं ?
उत्तर - हे गौतम! रत्नप्रभा पृथ्वी के नैरयिक शीत वेदना नहीं वेदते, शीतोष्ण वेदना भी नहीं वेदते, किन्तु उष्ण वेदना वेदते हैं। इसी प्रकार यावत् वालुकाप्रभा पृथ्वी के नैरयिकों के विषय में कहना चाहिये।
प्रश्न - हे भगवन् ! पंकप्रभा पृथ्वी के नैरयिकों के विषय में पूर्ववत् पच्छा?
उत्तर - हे गौतम! पंकप्रभा पृथ्वी के नैरयिक शीत वेदना भी वेदते हैं, उष्ण वेदना भी वेदते हैं । किन्तु शीतोष्ण वेदना नहीं वेदते। जो उष्ण वेदना वेदते हैं वे नैरयिक बहुत हैं और जो शीत वेदना वेदते . हैं, वे नैरयिक अल्प है।
धूमप्रभा पृथ्वी के नैरयिकों में भी दोनों प्रकार की वेदना कहनी चाहिये। विशेषता यह है कि जो शीत वेदना वेदते हैं वे नैरयिक बहुत हैं और जो उष्ण वेदना वेदते हैं वे नैरयिक अल्प (थोड़े) हैं।
तमा पृथ्वी और तमस्तमा पृथ्वी के नैरयिक शीत वेदना वेदते हैं किन्तु उष्ण वेदना और शीतोष्ण वेदना नहीं वेदते हैं।
विवेचन - पहली, दूसरी और तीसरी नरक में शीत योनि वाले नैरयिक होते हैं ये उष्ण वेदना वेदते हैं। चौथी नरक में शीत योनि वाले और उष्ण योनि वाले नैरयिक होते हैं, शीत योनि वाले उष्ण वेदना वेदते हैं और उष्ण योनि वाले शीत वेदना वेदते हैं। इस नरक में शीत योनि वाले बहुत और उष्ण योनि वाले थोड़े हैं इसलिए उष्ण वेदना वाले अधिक हैं और शीत वेदना वाले थोड़े हैं। पांचवीं नरक में भी दोनों तरह के - शीत योनि वाले और उष्णयोनि वाले नैरयिक हैं। शीत योनि वाले उष्ण वेदना वेदते हैं और उष्ण योनि वाले शीत वेदना वेदते हैं। इसमें शीत योनि वाले थोड़े हैं और उष्ण योनि वाले बहुत हैं अत: उष्ण वेदना वाले थोड़े और शीत वेदना वाले बहुत हैं। छठी नरक में उष्णयोनि वाले नैरयिक हैं उन्हें शीत की वेदना होती है। सातवीं नरक में महा उष्णयोनि वाले नैरयिक हैं अतः उन्हें शीत की प्रचण्ड वेदना होती है। इस प्रकार नरक में शीत वेदना और उष्ण वेदना होती है।
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