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________________ २४३ 中中中中中中中中中中中WIFI-PIEW中PHPWEB-PY牌 तेतीसवां अवधि पद - संस्थान द्वार 中中中 中 उत्तर - हे गौतम! ज्योतिषी देवों का अवधिज्ञान झालर के आकार का कहा गया है। विवेचन - पंचेन्द्रिय तिर्यंचों और मनुष्यों का अवधिज्ञान अनेक आकार का कहा गया है। जैसे स्वयंभूरमण समुद्र में मत्स्य नाना आकार के होते हैं वहाँ मत्स्यों की वलय की आकृति वाले संस्थान का निषेध किया है किन्तु तिर्यंचों और मनुष्यों के अवधि का संस्थान तो वलयाकार भी होता है कहा भी है - . नाणागारो तिरियमणुएसु मच्छा सयंभूरमणे व्व। तत्थ वलयं निसिद्धं तस्स पुण तयंपि होजाहि॥ वाणव्यंतर देवों के पटह की आकृति वाला अवधि है। पटह वाद्य विशेष है जैसे ढोल कहा जाता है वह कुछ लम्बा और ऊपर नीचे समान परिमाण वाला होता है। ज्योतिषी देवों का अवधि झालर के आकार जैसा है। दोनों ओर से विस्तीर्ण और चमड़े से मढ़े हुए मुख वाला वलय की आकृति वाला वाद्य विशेष झालर होता है। झालर एक प्रकार का गोलाकार विस्तीर्ण बाजा विशेष होता है। जो लगभग छोटी ढोलक जैसा होता है। सोहम्मगदेवाणं पुच्छा। - गोंयमा! उड्डमुयंगागारसंठिए पण्णत्ते, एवं जाव अच्चुय देवाणं। गेवेजगदेवाणं पुच्छा। गोयमा! पुष्फचंगेरिसंठिए पण्णत्ते। अणुत्तरोववाइयाणं पुच्छा। गोयमा! जवणालिया संठिए ओही पण्णत्ते॥६७०॥ कठिन शब्दार्थ - उडमुयंगागारसंठिए - ऊर्ध्व मृदंग के आकार वाला, मृदंग एक वाद्य विशेष होता है जो नीचे से विस्तीर्ण और ऊपर से संकुचित होता है वह खड़ा मृदंग समझना चाहिये। पुष्फचंगेरि संठिए - पुष्प चंगेरी (गूंथे हुए फूलों की शिखा सहित चंगेरी-छबडी या टोकरी) के आकार वाला जवणालिया संठिए - यवनालिका-कन्या की चोली-के आकार वाला। भावार्थ-प्रश्न-हे भगवन् ! सौधर्म देवों के अवधिज्ञान का आकार किस प्रकार का कहा गया है? उत्तर - हे गौतम! सौधर्म देवों के अवधिज्ञान का आकार ऊर्ध्व (खड़ी) मृदंग जैसा है। इसी प्रकार यावत् अच्युत देवों तक समझना चाहिये। प्रश्न - ग्रैवेयक देवों के अवधि संस्थान के विषय में पूर्ववत् प्रश्न। उत्तर - हे गौतम! ग्रैवेयक देवों का अवधिज्ञान पुष्प चंगेरी के आकार का है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004096
Book TitlePragnapana Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size8 MB
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