________________
२३६
प्रज्ञापना सूत्र
शर्कराप्रभा पृथ्वी के नैरयिक जघन्य तीन गाऊ और उत्कृष्ट साढ़े तीन गाऊ क्षेत्र को अवधिज्ञान से जानते देखते हैं। ___वालुकाप्रभा पृथ्वी के नैरयिक जघन्य ढाई गाऊ और उत्कृष्ट तीन गाऊ क्षेत्र को अवधिज्ञान से जानते देखते हैं।
___पंकप्रभा पृथ्वी के नैरयिक अवधिज्ञान से जघन्य दो गाऊ और उत्कृष्ट ढाई गाऊ क्षेत्र को जानते देखते हैं।
धूमप्रभा पृथ्वी के नैरयिक जघन्य डेढ़ गाऊ और उत्कृष्ट दो गाऊ क्षेत्र को अवधिज्ञान से जानते देखते हैं।
तमः प्रभा पृथ्वी के नैरयिक जघन्य एक गाऊ और उत्कृष्ट डेढ़ गाऊ क्षेत्र को अवधिज्ञान से. जानते देखते हैं।
प्रश्न - हे भगवन् ! अधःसप्तम पृथ्वी के नैरयिक अवधिज्ञान से कितने क्षेत्र को जानते देखते हैं?
उत्तर - हे गौतम! तमस्तमःप्रभा (अधःसप्तम) पृथ्वी के नैरयिक जघन्य आधा गाऊ और उत्कृष्ट एक गाऊ क्षेत्र को अवधिज्ञान से जानते देखते हैं।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में नैरयिक जीवों की अवधिज्ञान से जानने देखने की क्षेत्र मर्यादा बताई गई है। जो इस प्रकार है - क्रं.
जघन्य विषय उत्कृष्ट विषय . समुच्चय नैरयिक
आधा कोस (गाऊ) चार कोस रत्नप्रभा पृथ्वी के नैरयिक साढ़े तीन कोस चार कोस शर्करा पृथ्वी के नैरयिक
तीन कोस
साढ़े तीन कोस वालुकाप्रभा पृथ्वी के नैरयिक ढाई कोस
तीन कोस पंकप्रभा पृथ्वी के नैरयिक दो कोस . ढाई कोस धूमप्रभा पृथ्वी के नैरयिक - डेढ़ कोस
दो कोस तमःप्रभा पृथ्वी के नैरयिक
एक कोस
डेढ़ कोस तमःतमःप्रभा पृथ्वी के नैरयिक आधा कोस . एक कोस असुरकुमारा णं भंते! ओहिणा केवइयं खेत्तं जाणंति पासंति?
गोयमा! जहण्णेणं पणवीसं जोयणाई, उक्कोसेणं असंखिजे दीवसमुद्दे ओहिणा जाणंति पासंति।
*
नाम
*
*
3
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org