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प्रज्ञापना सूत्र
जो न तो संयत है, न असंयत है और न संयतासंयत है वह नो-संयत नो-असंयत नो-संयतासंयत कहलाता है ऐसे जीव सिद्ध ही होते हैं। नो- संयत नो- असंयत नो- संयतासंयत और सिद्ध एकवचन और बहुवचन की अपेक्षा अनाहारक ही होते हैं आहारक नहीं, क्योंकि सिद्ध अशरीरी होने के कारण आहारक नहीं होते हैं। यह छठा संयत द्वार समाप्त हुआ।
७. कषाय द्वार सकसाई णं भंते! जीवे किं आहारए अणाहारए ?
गोयमा! सिय आहारए, सिय अणाहारए, एवं जाव वेमाणिया, पुहुत्तेणं जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो, कोहकसाईसु जीवाईसु एवं चेव, णवरं देवेसु छब्भंगा ।
भावार्थ- प्रश्न - हे भगवन्! सकषायी जीव आहारक होता है या अनाहारक ?
उत्तर - हे गौतम! सकषायी जीव कदाचित् आहारक होता है और कदाचित् अनाहारक होता है इसी प्रकार यावत् वैमानिक तक समझना चाहिए। बहुवचन में जीव और एकेन्द्रिय को छोड़ कर तीन भंग पाते हैं। क्रोध कषायी आदि जीवों में भी इसी प्रकार समझना किन्तु देवों के १३ ही दण्डकों में छह भंग होते हैं।
विवेचन - सकषायी जीव कदाचित् आहारक होता है और कदाचित् अनाहारक होता है। बहुवचन में जीव और एकेन्द्रिय के सिवाय तीन भंग समझने चाहिये। जीव पद में और पृथ्वी आदि एकेन्द्रियों में 'आहारक भी होते हैं और अनाहारक भी होते हैं' यह एक भंग कहना चाहिये क्योंकि इन पदों में आहारक और अनाहारक दोनों प्रकार के सकषायी जीव बहुत होते हैं। शेष स्थानों में तीन भंग समझने चाहिये। क्रोध कषायी के विषय में सामान्य कषायी की तरह समझना चाहिए क्योंकि उसमें जीव पद और पृथ्वी आदि पदों के भंग का अभाव है। शेष स्थानों में तीन भंग कहना किन्तु इतनी विशेषता है कि देवों में छह भंग कहने चाहिये क्योंकि देव स्वभाव से ही बहुत लोभ वाले होते हैं किन्तु बहुत क्रोध आदि वाले नहीं होते किन्तु क्रोध कषायी भी एक आदि भी होते हैं अत: छह भंग इस प्रकार होते हैं १. कदाचित् क्रोध कषायी सभी आहारक होते हैं क्योंकि एक भी क्रोध कषायी विग्रह गति को प्राप्त हुआ नहीं होता २. कदाचित् सभी अनाहारक होते हैं जब कोई भी क्रोध कषायी आहारक नहीं होता। यहाँ क्रोध का उदय मान आदि के उदय से अलग ही विवक्षित है किन्तु मान आदि के उदय सहित विवक्षित नहीं इसलिए क्रोध कषायी आहारक देव का अभाव संभव है ३. कदाचित् एक आहारक होता है और एक अनाहारक होता है ४ कदाचित् एक आहारक और बहुत अनाहारक होते हैं ५. कदाचित् बहुत आहारक और एक अनाहारक होता है और ६. कदाचित् बहुत आहारक और बहुत अनाहारक होते हैं।
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