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________________ Jain Education International जघन्य स्थिति उत्कृष्ट स्थिति अबाधाकाल निषेककाल क्रम १०८. १०९. ११०. १११. ११२. ११३. कर्मप्रकृति का नाम शुभनामकर्म सुभगनामकर्म सुस्वरनामकर्म आदेयनामकर्म यश:कीर्तिनामकर्म अशुभनामकर्म आठ मुहूर्त पल्योपम के असंख्यातवें १० कोडाकोड़ी सागरोपम २० कोड़ाकोड़ी सागरोपम १००० वर्ष २००० वर्ष उत्कृष्ट स्थिति में २ भाग कम सागरोपम का २ भाग हजार वर्ष कम For Personal & Private Use Only ११४. दुर्भगनामकर्म ११५. दुःस्वरनामकर्म ११६. अनादेयनामकर्म ११७. अयश:कीर्तिमाम ११८. निर्माणनामकर्म ११९. तीर्थकरनामकर्म १२०. उच्चगोत्रनामकर्म ११८ अन्तःकोड़ाकोड़ी सागरोपम आठ मुहूर्त अन्तः कोड़ाकोड़ी सागरोपम १० कोड़ाकोड़ी सागरोपमः " " १००० वर्ष __ . १२१. नीचगोत्रनामकर्म पल्योपम के असंख्यातवें २० कोड़ाकोड़ी सागरोपम भाग कम सागरोपम का २ भाग अन्तर्मुहूर्त . ३० कोड़ाकोड़ी सागरोपम २००० वर्ष - ३००० वर्ष उत्कृष्ट स्थिति में १००० वर्ष कम उत्कृष्ट स्थिति में २ हजार वर्ष कम उत्कृष्ट स्थिति में ३ हजार वर्ष कम १२२. अन्तरायनामकर्म . . www.jainelibrary.org
SR No.004096
Book TitlePragnapana Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size8 MB
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