SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education International क्रम २७. कर्मप्रकृति का नाम नरकगतिनामकर्म २८. तिथंचगतिनामकर्म २९. मनुष्यगतिनामकर्म जघन्य स्थिति उत्कृष्ट स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम २० कोड़ाकोड़ी सागरोपम सहस्रसागरोपम का २ भाग पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम २० कोड़ाकोड़ी सागरोपम भाग सागरोपम का में भाग पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम १५ कोड़ाकोड़ी सागरोपम सागरोपम का २" भाग पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम १० कोड़ाकोड़ी सागरोपम सहस्र सागरोपम का है भाग पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम २० कोड़ाकोड़ी सागरोपम सागरोपम का २ भाग पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम १८ कोड़ाकोड़ी सागरोपम सागरोपम का .. भाग अबाधाकाल निषेककाल २००० वर्ष उत्कृष्ट स्थिति में २ हजार वर्ष कम . २००० वर्ष उत्कृष्ट स्थिति में २ हजार वर्ष कम १५०० वर्ष उत्कृष्ट स्थिति में१५०० वर्ष कम १००० वर्ष उत्कृष्ट स्थिति में २ . हजार वर्ष कम २००० वर्ष उत्कृष्ट स्थिति में २ हजार वर्ष कम १८०० वर्ष उत्कृष्ट स्थिति में १८०० वर्ष कम ३०. देवगतिनामकर्म १. एकेन्द्रियजातिनामकर्म For Personal & Private Use Only ११३ ३२. द्वीन्द्रियजातिनामकर्म ३३. ३४. ३५. त्रीन्द्रियजाति नामकर्म चतुरिन्द्रियजातिनामकर्म पंचेन्द्रियजातिनामकर्म । २००० वर्ष पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम २० कोड़ाकोड़ी सागरोपम सागरोपम का २ भाग उत्कृष्ट स्थिति में २ हजार वर्ष कम ३६. ३७. औदारिकशरीरनामकर्म वैक्रियशरीरनामकर्म " " " " " " " " " " www.jainelibrary.org पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सहस्र सागरोपम का - भाग
SR No.004096
Book TitlePragnapana Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages358
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy