________________
ÓÓÓÓÓ
पन्द्रहवां इन्द्रिय पद- द्वितीय उद्देशक अनेक जीवों की अपेक्षा
TÖLŐHŐLŐKÖHÖN ÖKÖTŐNÖKÖKÖZÖKŐKÖYÜ
भावार्थ - प्रश्न- हे भगवन् ! एक-एक मनुष्य की नैरयिकपन में अतीत द्रव्येन्द्रियाँ कितनी हुई हैं ? उत्तर - हे गौतम! एक-एक मनुष्य की नैरयिकपन में अतीत द्रव्येन्द्रियाँ अनन्त हुई हैं। केवइया बद्धेल्लगा?
गोयमा ! णत्थि ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! उसकी बद्ध द्रव्येन्द्रियाँ कितनी हैं ?
उत्तर - हे गौतम! उसकी बद्ध द्रव्येन्द्रियाँ नहीं हैं।
केवड्या पुरेक्खडा ?
गोमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्स अत्थि अट्ठ वा सोलस वा चउवीसा वा संखिज्जा वा असंखिज्जा वा अणंता वा । एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्ते, णवरं एगिंदियविगलिंदिएसु जस्स जत्तिया पुरेक्खडा तस्स तत्तिया भाणियव्वा ।
भावार्थ- प्रश्न - हे भगवन् ! उसकी पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी होंगी ?
उत्तर - हे गौतम! पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियाँ किसी की होंगी, किसी की नहीं होंगी, जिसकी होंगी, उसकी आठ, सोलह, चौवीस, संख्यात, असंख्यात अथवा अनन्त होंगी। इसी प्रकार यावत् पंचेन्द्रिय तिर्यंच पर्याय में अतीत, बद्ध और पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियों के विषय में कहना चाहिए। विशेषता यह है कि एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रियों में से जिसकी जितनी पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियाँ होंगी, उसकी उतनी कहनी चाहिए। एगमेगस्स णं भंते! मणूसस्स मणूसत्ते केवइया दव्विंदिया अतीता ?
गोयमा! अणंता ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! मनुष्य की मनुष्य पर्याय में अतीत द्रव्येन्द्रियाँ कितनी हुई हैं ? उत्तर- हे गौतम! मनुष्य की मनुष्य पर्याय में अतीत द्रव्येन्द्रियाँ अनन्त हुई हैं।
केवइया बद्धेल्लगा?
गोयमा ! अट्ठ ।
भावार्थ- प्रश्न - हे भगवन् ! बद्ध द्रव्येन्द्रियाँ कितनी हैं ?
उत्तर - हे गौतम! बद्धं द्रव्येन्द्रियाँ आठ हैं।
७९
Jain Education International
केवइया पुरेक्खडा ?
गोयमा! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्स अत्थि अट्ठ वा सोलस वा चउवीसा वा संखिज्जा वा असंखिज्जा वा अणंता वा । वाणमंतरजोइसिय जाव गेवेज्जगदेवत्ते जहा इयत्ते ।
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org