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प्रज्ञापना सूत्र
केवइया पुरेक्खडा? गोयमा! अट्ठ वा सोलस वा सत्तरस वा संखिज्जा वा असंखिज्जा वा अणंता वा।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! एक-एक नैरयिक की पुरस्कृत (आगे होने वाली) द्रव्येन्द्रियाँ कितनी हैं?
उत्तर - हे गौतम! एक-एक नैरयिक की आगे होने वाली द्रव्येन्द्रियाँ आठ हैं, सोलह हैं, सत्तरह हैं, संख्यात हैं, असंख्यात हैं अथवा अनन्त हैं।
एगमेगस्स णं भंते! असुरकुमारस्स केवइया दव्विंदिया अतीता? गोयमा! अणंता। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! एक-एक असुरकुमार के अतीत द्रव्येन्द्रियाँ कितनी हैं? उत्तर - हे गौतम! अनन्त हैं। केवइया बद्धेल्लगा? गोयमा! अट्ट। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! एक-एक असुरकुमार के कितनी द्रव्येन्द्रियाँ बद्ध हैं ? उत्तर - हे गौतम! आठ हैं। केवइया पुरेक्खडा? गोयमा! अट्ठ वा णव वा संखिजा वा असंखिजा वा अणंता वा।
एवं जाव थणियकुमाराणं ताव भाणियव्वं। एवं पुढविकाइया आउकाइया वणस्सइकाइया वि, णवर केवइया बद्धेल्लगत्ति पुच्छाए उत्तरं एक्के फासिंदियदव्विंदिए पण्णत्ते। एवं तेउकाइयवाउकाइयस्स वि, णवरं पुरेक्खडा णव वा दस वा। एवं बेइंदियाण वि, णवरं बद्धेल्लग पुच्छाए दोण्णि। एवं तेइंदियस्स वि, णवरं बद्धेल्लगा चत्तारि। एवं चउरिदियस्स वि, णवरं बद्धेल्लगा छ।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! एक-एक असुरकुमार के पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियाँ कितनी हैं?
उत्तर - हे गौतम! एक-एक असुरकुमार के पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियाँ आठ हैं, नौ हैं, संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त हैं।
नागकुमार से ले कर स्तनितकुमार तक की अतीत, बद्ध और पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियों के विषय में भी इसी प्रकार कहना चाहिए। पृथ्वीकायिक, अप्कायिक और वनस्पतिकायिक की अतीत और पुरस्कृत इन्द्रियों के विषय में भी इसी प्रकार कहना चाहिए। विशेषता यह है कि प्रत्येक की बद्ध द्रव्येन्द्रियाँ
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