________________
३४
प्रज्ञापना सूत्र
उत्तर - हे गौतम! श्रोत्रेन्द्रिय के मृदु और लघु गुण अनन्त कहे गए हैं। इसी प्रकार चक्षुरिन्द्रिय से लेकर स्पर्शनेन्द्रिय तक के मृदु लघु गुण के विषय में कहना चाहिए।
एएसिणं भंते! सोइंदिय चक्खिदिय घाणिंदिय जिब्भिदिय फासिंदियाणं कक्खड गरुय गुणाणं मउय लहुय गुणाणं कक्खड गरुय गुणाणं मउय लहुय गुणाणं च कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?
गोयमा! सव्वत्थोवा चक्खिदियस्स कक्खड गरुय गुणा, सोइंदियस्स कक्खड गरुय गुणा अनंत गुणा, घाणिंदियस्स कक्खड गरुय गुणा अणंतगुणा, जिब्भिदियस्स कक्खड गरुय गुणा अणंतगुणा, फासिंदियस्स कक्खड गरुय गुणा अनंत गुणा । मउय लहुय गुणाणं- सव्वत्थोवा फासिंदियस्स मउय लहुय गुणा, जिब्भिंदियस्स मउय लहु गुणा अनंत गुणा, घाणिंदियस्स मउय लहुय गुणा अनंत गुणा, सोइंदियस्स मउय लहुय गुणा अनंत गुणा, चक्खिदियस्स मउय लहुय गुणा अणंत गुणा । . कक्खड गरुय गुणाणं मउय लहुय गुणाणं च सव्वत्थोवा चक्खिदियस्स कक्खड गरुय गुणा, सोइंदियस्स कक्खड गरुय गुणा अनंत गुणा, घाणिंदियस्स कक्खड़ गरुय गुणा अणंत-गुणा, जिब्भिदियस्स कक्खड गरुय गुणा अनंत गुणा, फासिंदियस्स कक्खड गरुय गुणा अनंत गुणा, फासिंदियस्स कक्खड गरुय गुणेहिंतो तस्स चेव
जय लहु गुणा अनंत गुणा, जिब्भिदियस्स मउय लहुय गुणा अनंत गुणा, घाणिदियस्स मउय लहुय गुणा अनंत गुणा, सोइंदियस्स मउय लहुय गुणा अणंत गुणा, चक्खिदियस्स मउय लहुय गुणा अनंत गुणा ॥ ४३२ ॥
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! इन श्रोत्रेन्द्रिय, चक्षुरिन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, जिह्वेन्द्रिय और स्पर्शनेन्द्रिय
गुरु गुणों और मृदु लघु गुणों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक हैं ? उत्तर - हे गौतम! सबसे कम चक्षुरिन्द्रिय के कर्कश गुरु गुण हैं, उनसे श्रोत्रेन्द्रिय के कर्कश गुरु गुण अनन्त गुणा हैं, उनसे घ्राणेन्द्रिय के कर्कश गुरु गुण अनन्त गुणा हैं, उनसे जिह्वेन्द्रिय के कर्कश गुरु अनन्तगुणा हैं और उनसे स्पर्शनेन्द्रिय के कर्कश गुरु गुण अनन्त गुणा हैं। मृदु लघु गुणों में से सबसे थोड़े स्पर्शनेन्द्रिय के मृदु लघु गुण हैं, उनसे जिह्वेन्द्रिय के मृदु लघु गुण अनन्त गुणा हैं, उनसे घ्राणेन्द्रिय के मृदु लघु अनन्त गुणा हैं, उनसे श्रोत्रेन्द्रिय के मृदु गुण अनन्त गुणा हैं, उनसे चक्षुरिन्द्रिय
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org