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प्रज्ञापना सूत्र
मणूस पंचिंदिय ओरालिय सरीरे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते? .
गोयमा! दुविहे पण्णत्ते। तंजहा-सम्मुच्छिम मणूस पंचिंदिय ओरालिय सरीरे य गब्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय ओरालिय सरीरे य।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! मनुष्य पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! मनुष्य पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर दो प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार है-सम्मूछिम मनुष्य पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर और गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर।
गब्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय ओरालिय सरीरे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते?
गोयमा! दुविहे पण्णत्ते। तंजहा-पजत्तग गब्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय ओरालिय सरीरे य अपजत्तग गब्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय ओरालिय सरीरे य॥ ५६९॥
भावार्थ-प्रश्न-हे भगवन्! गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर कितने प्रकार का कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर दो प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार है - पर्याप्तक गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर और अपर्याप्तक गर्भज मनुष्य पंचेन्द्रिय . औदारिक शरीर।
विवेचन - मनुष्य पंचेन्द्रिय औदारिक शरीर के सम्मूछिम और गर्भज ये दो भेद हैं। उसमें गर्भज के पर्याप्तक और अपर्याप्तक के भेद से दो प्रकार होते हैं किन्तु सम्मूछिम मनुष्य अपर्याप्तक ही होते हैं।
. २. संस्थान द्वार ओरालिय सरीरे णं भंते! किंसंठिए पण्णत्ते? गोयमा! णाणा संठाण संठिए पण्णत्ते। भावार्थ-प्रश्न-हे भगवन्! औदारिक शरीर का संस्थान (आकार) किस प्रकार का कहा गया है? उत्तर - हे गौतम! औदारिक शरीर नाना संस्थान वाला कहा गया है। एगिदिय ओरालिय सरीरे णं भंते! किंसंठिए पण्णत्ते? गोयमा! णाणा संठाणसंठिए पण्णत्ते। भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! एकेन्द्रिय औदारिक शरीर किस संस्थान का कहा गया है? उत्तर - हे गौतम! एकेन्द्रिय औदारिक शरीर नाना संस्थान वाला कहा गया है। पुढविकाइय एगिंदिय ओरालिय सरीरे णं भंते! किंसंठिए पण्णत्ते?
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